उसकी याद दिलाती हे ,
उसका चेहरा बताती हे,
मंद-मंद बहते हुए यूँ
गुनगुनाती हे उसका नाम,
ये ढलती हुई शाम |
उसके प्यार का विश्वाश दिलाती हे,
उसके प्यार का एहसास दिलाती हे,
चोरी-चोरी,चुपके -चुपके यूँ
मुजको सुनाती हे उसका पैगाम,
ये ढलती हुई शाम |
धीरे-धीरे से ढलती जाती हे,
उसका हर हाले दिल सुनाती हे,
कभी मै ना मिलूं उसको तो यूँ
मचा देती हे भयंकर कोहराम,
ये ढलती हुई शाम |
किरणों में उसकी आँखे चमकती हे,
हर तरफ सिर्फ उसकी झलक छलकती हे,
ऐसे -वैसे बलखाती,लहराती यूँ
मेरे दिल को देती हे सुकून-ओ-आराम,
ये ढलती हुई शाम |
मुज पर शबनम-सी छा जाती हे,
मुझे अपने में समाँ लेती हे ,
हर घड़ी हर पल हर लम्हा यूँ
उसकी मोहब्बत का पिलाती हे जाम,
ये ढलती हुई शाम |