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Sunday 6 May 2012

कोका कोला से मछलियों को खट्टे डकार आते है

                                      
                                     
                                        आसमाँ से हल्का हनीमून टपकता है,

                                   फिर भी धरती पे प्यासा शराबी है क्यूँ?

                                         दिन के तड़के में देखो सूरज पिघलता है,

                                          फिर भी चमगादड़ चाँदनी से परेशाँ है क्यूँ?

                                डोक्टर दांतों में कोलगेट की कमी बताता है,

                               फिर भी खाबों में जुलाबों के निशाँ है क्यूँ?

                        पडोसी को परदेसी की पत्नी पराई लगती है,

                      फिर भी बारिश भिकारी पे मेहरबाँ है क्यूँ?

                              तुफानो में चुडेल जलती जुल्फें सुखाती है,

                              फिर भी प्रधानमंत्री की बेटी जवाँ है क्यूँ?

                                     पश्चिम में पैरों का पसीना नाक से बहता है,

                                     फिर भी सुहागरात से परछाई इतनी हैराँ है क्यूँ?

                               सांप के सुन्दर ससुर को सौतेली माँ सताती है,

                              फिर भी समंदर की दाड़ी में टुटा तिनका है क्यूँ?

                    चुल्लू भर पानी,सारे सागर पे भारी पड़ता है,

                   फिर भी शबनम की बूंदों से पतंगा नहाता है क्यूँ?

           यमराज मुर्दे की मौत पे अपनी नसबंदी करवाता है,

          फिर भी चूहा थूंक से ही लिफ़ाफ़े पे टिकिट चिपकता है क्यूँ?
                         झींगुर के साथ लंगूर अपनी औकात दिखाता है,

                        फिर भी शतरंज की शय से फटा प्यादे का गिरेबाँ है क्यूँ?

                        कोका कोला से मछलियों को खट्टे डकार आते है,

                       फिर भी भैंस के दूध से एड्स ठीक हो जाता है क्यूँ? 

कोका कोला से मछलियों को खट्टे डकार आते है

                                      
                                     
                                        आसमाँ से हल्का हनीमून टपकता है,

                                   फिर भी धरती पे प्यासा शराबी है क्यूँ?

                                         दिन के तड़के में देखो सूरज पिघलता है,

                                          फिर भी चमगादड़ चाँदनी से परेशाँ है क्यूँ?

                                डोक्टर दांतों में कोलगेट की कमी बताता है,

                               फिर भी खाबों में जुलाबों के निशाँ है क्यूँ?

                        पडोसी को परदेसी की पत्नी पराई लगती है,

                      फिर भी बारिश भिकारी पे मेहरबाँ है क्यूँ?

                              तुफानो में चुडेल जलती जुल्फें सुखाती है,

                              फिर भी प्रधानमंत्री की बेटी जवाँ है क्यूँ?

                                     पश्चिम में पैरों का पसीना नाक से बहता है,

                                     फिर भी सुहागरात से परछाई इतनी हैराँ है क्यूँ?

                               सांप के सुन्दर ससुर को सौतेली माँ सताती है,

                              फिर भी समंदर की दाड़ी में टुटा तिनका है क्यूँ?

                    चुल्लू भर पानी,सारे सागर पे भारी पड़ता है,

                   फिर भी शबनम की बूंदों से पतंगा नहाता है क्यूँ?

           यमराज मुर्दे की मौत पे अपनी नसबंदी करवाता है,

          फिर भी चूहा थूंक से ही लिफ़ाफ़े पे टिकिट चिपकता है क्यूँ?
                         झींगुर के साथ लंगूर अपनी औकात दिखाता है,

                        फिर भी शतरंज की शय से फटा प्यादे का गिरेबाँ है क्यूँ?

                        कोका कोला से मछलियों को खट्टे डकार आते है,

                       फिर भी भैंस के दूध से एड्स ठीक हो जाता है क्यूँ? 

कोका कोला से मछलियों को खट्टे डकार आते है

                                      
                                     
                                        आसमाँ से हल्का हनीमून टपकता है,

                                   फिर भी धरती पे प्यासा शराबी है क्यूँ?

                                         दिन के तड़के में देखो सूरज पिघलता है,

                                          फिर भी चमगादड़ चाँदनी से परेशाँ है क्यूँ?

                                डोक्टर दांतों में कोलगेट की कमी बताता है,

                               फिर भी खाबों में जुलाबों के निशाँ है क्यूँ?

                        पडोसी को परदेसी की पत्नी पराई लगती है,

                      फिर भी बारिश भिकारी पे मेहरबाँ है क्यूँ?

                              तुफानो में चुडेल जलती जुल्फें सुखाती है,

                              फिर भी प्रधानमंत्री की बेटी जवाँ है क्यूँ?

                                     पश्चिम में पैरों का पसीना नाक से बहता है,

                                     फिर भी सुहागरात से परछाई इतनी हैराँ है क्यूँ?

                               सांप के सुन्दर ससुर को सौतेली माँ सताती है,

                              फिर भी समंदर की दाड़ी में टुटा तिनका है क्यूँ?

                    चुल्लू भर पानी,सारे सागर पे भारी पड़ता है,

                   फिर भी शबनम की बूंदों से पतंगा नहाता है क्यूँ?

           यमराज मुर्दे की मौत पे अपनी नसबंदी करवाता है,

          फिर भी चूहा थूंक से ही लिफ़ाफ़े पे टिकिट चिपकता है क्यूँ?
                         झींगुर के साथ लंगूर अपनी औकात दिखाता है,

                        फिर भी शतरंज की शय से फटा प्यादे का गिरेबाँ है क्यूँ?

                        कोका कोला से मछलियों को खट्टे डकार आते है,

                       फिर भी भैंस के दूध से एड्स ठीक हो जाता है क्यूँ? 

Saturday 21 April 2012

महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है


महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है
महज हाड़-मांस में ही कल-पुर्जों की हुई घिसाई है
बाखुदा मोहब्बत तो आज भी कतरे-कतरे में उफान पर है
इस नामुराद जमाने ने हम पे बुड़ापे की सिल लगाईं है
यूँ तो तज़ुर्बा जवानी का बेशुमार रहा इस ख़ादिम को
यूँ तो हुस्न की अनारकलियों ने दिलो-जान से चाहा इस सलीम को
लेकिन अब इन बदनों की हवस से दिलों की हुई रुसवाई है
हम अपने इश्क की मिसाल क्या दे तुमको ऐ जहां वालों
हम अपने हुनर को कैसे सोंप दे तुमको ऐ जहां वालों
डूबकर किया है इश्क ये मुलाक़ात उसी की सच्चाई है !

महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है


महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है
महज हाड़-मांस में ही कल-पुर्जों की हुई घिसाई है
बाखुदा मोहब्बत तो आज भी कतरे-कतरे में उफान पर है
इस नामुराद जमाने ने हम पे बुड़ापे की सिल लगाईं है
यूँ तो तज़ुर्बा जवानी का बेशुमार रहा इस ख़ादिम को
यूँ तो हुस्न की अनारकलियों ने दिलो-जान से चाहा इस सलीम को
लेकिन अब इन बदनों की हवस से दिलों की हुई रुसवाई है
हम अपने इश्क की मिसाल क्या दे तुमको ऐ जहां वालों
हम अपने हुनर को कैसे सोंप दे तुमको ऐ जहां वालों
डूबकर किया है इश्क ये मुलाक़ात उसी की सच्चाई है !

महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है


महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है
महज हाड़-मांस में ही कल-पुर्जों की हुई घिसाई है
बाखुदा मोहब्बत तो आज भी कतरे-कतरे में उफान पर है
इस नामुराद जमाने ने हम पे बुड़ापे की सिल लगाईं है
यूँ तो तज़ुर्बा जवानी का बेशुमार रहा इस ख़ादिम को
यूँ तो हुस्न की अनारकलियों ने दिलो-जान से चाहा इस सलीम को
लेकिन अब इन बदनों की हवस से दिलों की हुई रुसवाई है
हम अपने इश्क की मिसाल क्या दे तुमको ऐ जहां वालों
हम अपने हुनर को कैसे सोंप दे तुमको ऐ जहां वालों
डूबकर किया है इश्क ये मुलाक़ात उसी की सच्चाई है !

Tuesday 17 April 2012

सोचने का अंदाज़ बदलो,बस


सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
शुलों को गुलों में बदलते चलो
मंजिल खुद दोड़ी चली आएगी
दुश्मन को भी दोस्त बनाते चलो
दोस्ती की मिसाल बड़ जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
लहरों से दिल लगाते चलो
समंदर से पहचान बड़ जायेगी
आसमानों में ख़ुशी के दीप जलाते चलो
अंधेरों की घटा छट जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
गुरुओं की शरण में समाते चलो
ज्ञान की गंगा बड़ जायेगी
माँ-बाप की सेवा करते चलो
जन्नत नसीबों में छा जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
बच्चों पे प्रेम लुटाते चलो
खुदा से रूबरू रूह हो जायेगी
दिन-दुखियों का दर्द मिटाते चलो
दुवाओं से झोली भर जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
मीठा गीत कोई गाते चलो
गले की खराश मिट जायेगी
हर इम्तहान में आत्मविश्वास जगाते चलो
मेहनत जरुर रंग लाएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
निगाहों में ख्वाब कोई सजाते चलो
सुबह से मिलने हकीकत बेशक आएगी
हर पल एक हाथ नया मिलाते चलो
सारी कायनात आघोष में सिमट आएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी !


सोचने का अंदाज़ बदलो,बस


सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
शुलों को गुलों में बदलते चलो
मंजिल खुद दोड़ी चली आएगी
दुश्मन को भी दोस्त बनाते चलो
दोस्ती की मिसाल बड़ जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
लहरों से दिल लगाते चलो
समंदर से पहचान बड़ जायेगी
आसमानों में ख़ुशी के दीप जलाते चलो
अंधेरों की घटा छट जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
गुरुओं की शरण में समाते चलो
ज्ञान की गंगा बड़ जायेगी
माँ-बाप की सेवा करते चलो
जन्नत नसीबों में छा जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
बच्चों पे प्रेम लुटाते चलो
खुदा से रूबरू रूह हो जायेगी
दिन-दुखियों का दर्द मिटाते चलो
दुवाओं से झोली भर जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
मीठा गीत कोई गाते चलो
गले की खराश मिट जायेगी
हर इम्तहान में आत्मविश्वास जगाते चलो
मेहनत जरुर रंग लाएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
निगाहों में ख्वाब कोई सजाते चलो
सुबह से मिलने हकीकत बेशक आएगी
हर पल एक हाथ नया मिलाते चलो
सारी कायनात आघोष में सिमट आएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी !


सोचने का अंदाज़ बदलो,बस


सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
शुलों को गुलों में बदलते चलो
मंजिल खुद दोड़ी चली आएगी
दुश्मन को भी दोस्त बनाते चलो
दोस्ती की मिसाल बड़ जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
लहरों से दिल लगाते चलो
समंदर से पहचान बड़ जायेगी
आसमानों में ख़ुशी के दीप जलाते चलो
अंधेरों की घटा छट जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
गुरुओं की शरण में समाते चलो
ज्ञान की गंगा बड़ जायेगी
माँ-बाप की सेवा करते चलो
जन्नत नसीबों में छा जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
बच्चों पे प्रेम लुटाते चलो
खुदा से रूबरू रूह हो जायेगी
दिन-दुखियों का दर्द मिटाते चलो
दुवाओं से झोली भर जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
मीठा गीत कोई गाते चलो
गले की खराश मिट जायेगी
हर इम्तहान में आत्मविश्वास जगाते चलो
मेहनत जरुर रंग लाएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
निगाहों में ख्वाब कोई सजाते चलो
सुबह से मिलने हकीकत बेशक आएगी
हर पल एक हाथ नया मिलाते चलो
सारी कायनात आघोष में सिमट आएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी !