Pakistan vs Indian film industry |
भारत पाकिस्तान के बीच जिस प्रकार का द्वन्द यद्ध चल रहा है उसे देखकर लगता है पाकिस्तान पर आने वाले समय में संकट के बादल और गहरे छा जाएंगे. इसके चलते पाकिस्तान के फिल्म उद्योग को भी चिंता सताने लगी है कि अगर भारत-पाकिस्तान संबंध और ज्यादा बदतर होते हैं और साथ ही देश में हिन्दी फिल्मों पर प्रतिबंध लग जाता है तो उसे लगभग 70 प्रतिशत नुकसान उठाना पड़ सकता है।
साथ ही भारतीय फिल्म जगत में काम करने वालो को भी डर है कि अगर यह स्थिति बेहतर नहीं हो पाती है तो फिर आगे भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने की आवाज उठेगी।मशहूर जाने-माने प्रदर्शक, वितरक और एट्रियम सिनेप्लेक्स सीरीज़ के मालिक नदीम मंडविवल्ला का कहना है कि 'मैं निराशावादी बातें नहीं करना चाहता हूं लेकिन सच्चाई यह है कि नई हिन्दी और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के प्रदर्शित होने के कारण पिछले कुछ साल में पाक के फिल्म उद्योग को एक उंचाई मिली है जो काफी सराहनीय बात है।'
Bollywood actress |
उन्होंने आगे यह भी बताया है कि, 'मैं केवल यह उम्मीद करता हूं कि लंबी समयावधि तक संबंधों में तनाव नहीं रहना चाहिए,यहां तक कि अगर इस उद्योग पर एक अस्थायी प्रतिबंध लगाया जाता है तो हम पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर कोई स्थायी प्रतिबंध लगता है तो ऐसी संभावना है कि ढेर सारे सिनेमा घर और मल्टीप्लेक्स बंद हो जाएंगे जिससे बेरोजगारी बढेगी।'
एक और फेमस फिल्म समीक्षक उमर अलवी ने कहा कि सिनेमा के पर्दों और टैक्स में बढ़ोतरी के कारण भी पाकिस्तानी फिल्म उद्योग का पुनरुत्थान हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि, 'कई पाकिस्तानी फिल्में प्रदर्शित हुई हैं और अच्छा काम कर रही हैं और कई अन्य प्रदर्शित होने के लिए कतार में लगी हैं, लेकिन किसी सिनेमा जगत को सुचारू रूप से बने रहने के लिए एक साल में कम से कम 50 से 60 फिल्मों का निर्माण करना चाहिए जो हम इस वक्त कर पाने में असमर्थ हैं।
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