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वैश्यावृत्ति : मज़बूरी का शिकार या पापी प्यासी हवस


हम कई बार दबे छुपे शब्दों में उसका जिक्र करते है, प्रायः आदमी की दबी इच्छा उसके जिस्म को पाने की होती है... वह भी अपनी कामुक काया को परोसकर अपना पापी पेट पालती है. औरतें भी छुपकर उसके बारे में गॉसिप करने से बाज़ नहीं आती ! फिर भी इस सभ्य समाज में उसका नाम लेने से लब कांपते है, दिल थर्राता है, वो नाम है वैश्या....कॉलगर्ल....सेक्स वर्कर और न जाने कितने ऐसे नाम ? हर ख़ास और आम ये बात जानने की उत्कंठा रखता है कि ये कितने प्रकार की होती है ? ऐसी ही एक नारी की जुबानी हम आपको इस पेशे से रूबरू कराते है.

होम बेस्ड:- ये वो सेक्स वर्कर होती है जो अपने घरों में छिपकर धंधा चलाती है. प्रोफेशनल भाषा में इनको हिडन पापुलेशन कहा जाता है, यहाँ तक कि इनके आसपास के लोगो को भी इनकी भनक नहीं लगती, इनका काम होता है “चोरी-चोरी, चुपके-चुपके”.

स्ट्रीट बेस्ड:- ये वो वैश्याएँ होती है जो गलियों और सडको पर पाई जाती है, ये गलियां और सड़कें ही इनका पिक पॉइंट होता है. उदहारण के तौर पर देश की राजधानी दिल्ली का “रेड लाइट एरिया” जहां पर इनकी भरमार है.


हाईवे बेस्ड:- इस केटेगरी में वे वेश्याएं आती है, जो हाईवे या रोड पर मिलती है. खुले बाल, डार्क लिपस्टिक, शोख़ रंग के कपड़ों में सजी होती है. ड्राईवर इनके आसान शिकार होते है, इस कारण इनको HRG (हाई रिस्क ग्रुप) भी कहा जाता है. मंदसौर-नीमुच हाईवे पर इनकी भरमार है.

ढाबा बेस्ड:- ये वे सेक्स वर्कर है जो प्रायः ढाबों में पाई जाती है.... रंग-बिरंगे कपड़े,गहरा मेकअप व् शोख़ अदाओं के साथ ये ढाबों पर बैठी रहती है और वहीँ सौदा तय करती है.


होटल बेस्ड:- इस श्रेणी में वे महिलाऐ आती है जो होटल्स में पाई जाती है या कई बार होटल मालिक व् होटल के कर्मचारी इन सेक्स वर्कर्स को प्रोवाइड कराते है और अपने होटल रूम्स के एक्स्ट्रा चार्ज भी वसूलते है. कई बार अश्लील cd बनाकर भी उनके धंधे को चार चाँद लगा देते है, मतलब “आम के आम,गुट्लियों के दाम”.

कोठा बेस्ड:- इस केटेगरी में वे मासूम लड़कियां आती है जिनको धोखे से या किडनेपिंग या मज़बूरी में इस धंधे में उतारा जाता है. कोठे की मालकिन ही इन लड़कियों की मालकिन होती है जो इन दड़बेनुमा कमरों में इन गर्ल्स को रखकर इनसे ग्राहक पटवाती है और देह व्यापार करने को विवश करवाती है.



ट्रेडिशनल बेस्ड:- कई समाज जिनमे बाछड़ा व् बेड़िया समाजआदि शामिल है, उनमे परम्परागत देह व्यापार का व्यवसाय किया जाता है. इन परिवारों में लडकियां होने पर उत्साह मनाया जाता है. पारिवारिक सदस्य ही इनके दलाल होते है. परम्परागत देह व्यापार होने से यहाँ पर धंधा करना शर्म का विषय नहीं होता है.

पार्लर बेस्ड:- कई बार ब्यूटी पार्लर या मसाज पार्लर में भी इस तरह का देह व्यापार किया जाता है. मसाज के साथ-साथ देह उपलब्ध कराने के एक्स्ट्रा चार्ज लगते है. कई शौक़ीन मर्द भी यहाँ आते-जाते रहते है, जिनको अक्सर मुहं छुपाते हुए पुलिस की गिरफ़्त में खबरों के माध्यम से देखा जाता है.



कॉलगर्ल और बारगर्ल:- कॉलगर्ल वो होती है जो हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट से जुडी रहती है. इन्हें कॉल करके बुलाया जाता है, इन महिलाओं में मॉडल्स,कॉलेज गर्ल्स,स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस,हाउस वाइफ आदि आती है, जो अपनी असीमित आवश्यकताओं के चलते इस पेशे से जुड़ जाती है, जिनकी पहचान छुपी  रहती है. इसी प्रकार बारगर्ल्स भी बार में काम करते-करते इस तरह के धंधे से जुड़ जाती है.




ऐसा नहीं है कि यह कोई महिलाओं की विशेष प्रजातियाँ है, कोई भी नारी माँ की कोख़ से वैश्या बनकर जन्म नहीं लेती,बल्कि सदियों से पुरुषों की घृणित मानसिकता का शिकार होकर कभी नगर वधु तो कभी देवदासी और कभी तवायफ़ तो कभी वैश्या बनकर उनकी वासना का शिकार बनती है. बदलाव महिलाओं में नहीं, पुरुषों की सोच में होना चाहिए ताकि इस तरह के धधों पर विराम लग सके...”फ़ैसला आपका” 

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हम कई बार दबे छुपे शब्दों में उसका जिक्र करते है, प्रायः आदमी की दबी इच्छा उसके जिस्म को पाने की होती है... वह भी अपनी कामुक काया को परोसकर अपना पापी पेट पालती है. औरतें भी छुपकर उसके बारे में गॉसिप करने से बाज़ नहीं आती ! फिर भी इस सभ्य समाज में उसका नाम लेने से लब कांपते है, दिल थर्राता है, वो नाम है वैश्या....कॉलगर्ल....सेक्स वर्कर और न जाने कितने ऐसे नाम ? हर ख़ास और आम ये बात जानने की उत्कंठा रखता है कि ये कितने प्रकार की होती है ? ऐसी ही एक नारी की जुबानी हम आपको इस पेशे से रूबरू कराते है.

होम बेस्ड:- ये वो सेक्स वर्कर होती है जो अपने घरों में छिपकर धंधा चलाती है. प्रोफेशनल भाषा में इनको हिडन पापुलेशन कहा जाता है, यहाँ तक कि इनके आसपास के लोगो को भी इनकी भनक नहीं लगती, इनका काम होता है “चोरी-चोरी, चुपके-चुपके”.

स्ट्रीट बेस्ड:- ये वो वैश्याएँ होती है जो गलियों और सडको पर पाई जाती है, ये गलियां और सड़कें ही इनका पिक पॉइंट होता है. उदहारण के तौर पर देश की राजधानी दिल्ली का “रेड लाइट एरिया” जहां पर इनकी भरमार है.


हाईवे बेस्ड:- इस केटेगरी में वे वेश्याएं आती है, जो हाईवे या रोड पर मिलती है. खुले बाल, डार्क लिपस्टिक, शोख़ रंग के कपड़ों में सजी होती है. ड्राईवर इनके आसान शिकार होते है, इस कारण इनको HRG (हाई रिस्क ग्रुप) भी कहा जाता है. मंदसौर-नीमुच हाईवे पर इनकी भरमार है.

ढाबा बेस्ड:- ये वे सेक्स वर्कर है जो प्रायः ढाबों में पाई जाती है.... रंग-बिरंगे कपड़े,गहरा मेकअप व् शोख़ अदाओं के साथ ये ढाबों पर बैठी रहती है और वहीँ सौदा तय करती है.


होटल बेस्ड:- इस श्रेणी में वे महिलाऐ आती है जो होटल्स में पाई जाती है या कई बार होटल मालिक व् होटल के कर्मचारी इन सेक्स वर्कर्स को प्रोवाइड कराते है और अपने होटल रूम्स के एक्स्ट्रा चार्ज भी वसूलते है. कई बार अश्लील cd बनाकर भी उनके धंधे को चार चाँद लगा देते है, मतलब “आम के आम,गुट्लियों के दाम”.

कोठा बेस्ड:- इस केटेगरी में वे मासूम लड़कियां आती है जिनको धोखे से या किडनेपिंग या मज़बूरी में इस धंधे में उतारा जाता है. कोठे की मालकिन ही इन लड़कियों की मालकिन होती है जो इन दड़बेनुमा कमरों में इन गर्ल्स को रखकर इनसे ग्राहक पटवाती है और देह व्यापार करने को विवश करवाती है.



ट्रेडिशनल बेस्ड:- कई समाज जिनमे बाछड़ा व् बेड़िया समाजआदि शामिल है, उनमे परम्परागत देह व्यापार का व्यवसाय किया जाता है. इन परिवारों में लडकियां होने पर उत्साह मनाया जाता है. पारिवारिक सदस्य ही इनके दलाल होते है. परम्परागत देह व्यापार होने से यहाँ पर धंधा करना शर्म का विषय नहीं होता है.

पार्लर बेस्ड:- कई बार ब्यूटी पार्लर या मसाज पार्लर में भी इस तरह का देह व्यापार किया जाता है. मसाज के साथ-साथ देह उपलब्ध कराने के एक्स्ट्रा चार्ज लगते है. कई शौक़ीन मर्द भी यहाँ आते-जाते रहते है, जिनको अक्सर मुहं छुपाते हुए पुलिस की गिरफ़्त में खबरों के माध्यम से देखा जाता है.



कॉलगर्ल और बारगर्ल:- कॉलगर्ल वो होती है जो हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट से जुडी रहती है. इन्हें कॉल करके बुलाया जाता है, इन महिलाओं में मॉडल्स,कॉलेज गर्ल्स,स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस,हाउस वाइफ आदि आती है, जो अपनी असीमित आवश्यकताओं के चलते इस पेशे से जुड़ जाती है, जिनकी पहचान छुपी  रहती है. इसी प्रकार बारगर्ल्स भी बार में काम करते-करते इस तरह के धंधे से जुड़ जाती है.




ऐसा नहीं है कि यह कोई महिलाओं की विशेष प्रजातियाँ है, कोई भी नारी माँ की कोख़ से वैश्या बनकर जन्म नहीं लेती,बल्कि सदियों से पुरुषों की घृणित मानसिकता का शिकार होकर कभी नगर वधु तो कभी देवदासी और कभी तवायफ़ तो कभी वैश्या बनकर उनकी वासना का शिकार बनती है. बदलाव महिलाओं में नहीं, पुरुषों की सोच में होना चाहिए ताकि इस तरह के धधों पर विराम लग सके...”फ़ैसला आपका” 

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होम बेस्ड:- ये वो सेक्स वर्कर होती है जो अपने घरों में छिपकर धंधा चलाती है. प्रोफेशनल भाषा में इनको हिडन पापुलेशन कहा जाता है, यहाँ तक कि इनके आसपास के लोगो को भी इनकी भनक नहीं लगती, इनका काम होता है “चोरी-चोरी, चुपके-चुपके”.

स्ट्रीट बेस्ड:- ये वो वैश्याएँ होती है जो गलियों और सडको पर पाई जाती है, ये गलियां और सड़कें ही इनका पिक पॉइंट होता है. उदहारण के तौर पर देश की राजधानी दिल्ली का “रेड लाइट एरिया” जहां पर इनकी भरमार है.


हाईवे बेस्ड:- इस केटेगरी में वे वेश्याएं आती है, जो हाईवे या रोड पर मिलती है. खुले बाल, डार्क लिपस्टिक, शोख़ रंग के कपड़ों में सजी होती है. ड्राईवर इनके आसान शिकार होते है, इस कारण इनको HRG (हाई रिस्क ग्रुप) भी कहा जाता है. मंदसौर-नीमुच हाईवे पर इनकी भरमार है.

ढाबा बेस्ड:- ये वे सेक्स वर्कर है जो प्रायः ढाबों में पाई जाती है.... रंग-बिरंगे कपड़े,गहरा मेकअप व् शोख़ अदाओं के साथ ये ढाबों पर बैठी रहती है और वहीँ सौदा तय करती है.


होटल बेस्ड:- इस श्रेणी में वे महिलाऐ आती है जो होटल्स में पाई जाती है या कई बार होटल मालिक व् होटल के कर्मचारी इन सेक्स वर्कर्स को प्रोवाइड कराते है और अपने होटल रूम्स के एक्स्ट्रा चार्ज भी वसूलते है. कई बार अश्लील cd बनाकर भी उनके धंधे को चार चाँद लगा देते है, मतलब “आम के आम,गुट्लियों के दाम”.

कोठा बेस्ड:- इस केटेगरी में वे मासूम लड़कियां आती है जिनको धोखे से या किडनेपिंग या मज़बूरी में इस धंधे में उतारा जाता है. कोठे की मालकिन ही इन लड़कियों की मालकिन होती है जो इन दड़बेनुमा कमरों में इन गर्ल्स को रखकर इनसे ग्राहक पटवाती है और देह व्यापार करने को विवश करवाती है.



ट्रेडिशनल बेस्ड:- कई समाज जिनमे बाछड़ा व् बेड़िया समाजआदि शामिल है, उनमे परम्परागत देह व्यापार का व्यवसाय किया जाता है. इन परिवारों में लडकियां होने पर उत्साह मनाया जाता है. पारिवारिक सदस्य ही इनके दलाल होते है. परम्परागत देह व्यापार होने से यहाँ पर धंधा करना शर्म का विषय नहीं होता है.

पार्लर बेस्ड:- कई बार ब्यूटी पार्लर या मसाज पार्लर में भी इस तरह का देह व्यापार किया जाता है. मसाज के साथ-साथ देह उपलब्ध कराने के एक्स्ट्रा चार्ज लगते है. कई शौक़ीन मर्द भी यहाँ आते-जाते रहते है, जिनको अक्सर मुहं छुपाते हुए पुलिस की गिरफ़्त में खबरों के माध्यम से देखा जाता है.



कॉलगर्ल और बारगर्ल:- कॉलगर्ल वो होती है जो हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट से जुडी रहती है. इन्हें कॉल करके बुलाया जाता है, इन महिलाओं में मॉडल्स,कॉलेज गर्ल्स,स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस,हाउस वाइफ आदि आती है, जो अपनी असीमित आवश्यकताओं के चलते इस पेशे से जुड़ जाती है, जिनकी पहचान छुपी  रहती है. इसी प्रकार बारगर्ल्स भी बार में काम करते-करते इस तरह के धंधे से जुड़ जाती है.




ऐसा नहीं है कि यह कोई महिलाओं की विशेष प्रजातियाँ है, कोई भी नारी माँ की कोख़ से वैश्या बनकर जन्म नहीं लेती,बल्कि सदियों से पुरुषों की घृणित मानसिकता का शिकार होकर कभी नगर वधु तो कभी देवदासी और कभी तवायफ़ तो कभी वैश्या बनकर उनकी वासना का शिकार बनती है. बदलाव महिलाओं में नहीं, पुरुषों की सोच में होना चाहिए ताकि इस तरह के धधों पर विराम लग सके...”फ़ैसला आपका” 

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