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क्या है पत्नियाँ बदलो और मजे करो प्रथा?

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भारतीय संस्कृति विश्व में मानवता और विविधताओं के नाम से प्रसिद्ध संस्कृति है | एकता और अखंडता का सर्वशेष्ठ उदाहरण और अनेकता में एकता की बेमिसाल पहचान है | विश्व शक्ति में एक उभरता हुआ राष्ट्र जो किसी पहचान का मोहताज़ नहीं | मगर चिंता का विषय यह है कि आज की नवयुवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति को भूल क्यूँ इस वेस्टर्न कल्चर की दीवानी हो रही है | संस्कार और सदाचार जैसे बस नाम ही सुनने को रह गए है | 

वेस्टर्न कल्चर के कुछ उदाहरण जो भारतीय संस्कृति पर आज पूर्णरूप से हावी हो चुके है | शुरुआत हुई वेलेंटाइन डे से (प्यार का दिन) जिसे हर साल आज का युवा अपने लवर पार्टनर के साथ मनाता है और समाज में संस्कार और संस्कृति की सारी हदें  पार कर देता है | बात यहीं ख़त्म नहीं होती है फिर दौर आया “लिव इन रिलेशनशिप” का जो आज के दौर में सर चढ़ कर बोल रहा है, और जाने कितने नवयुवाओं की जान ले रहा है | यही नहीं आज की युवा पीढ़ी इस वेस्टर्न कल्चर के मद में इतनी मदहोश हो गई है कि आज हर प्रकार के नशे को लाइफ स्टाइल और फ़ेशन का नाम दे दिया गया है, और इस काम में महिलायें भी पीछे नहीं है |

                  Source- Lacigreen

एक और नया वेस्टर्न कल्चर जो कि तेजी से भारतीय कल्चर की ओर बढ़ रहा है | इस कल्चर को बहुत ही आदर के साथ भारत में फैलाया जा रहा है | इस वेस्टर्न कल्चर का नाम है “पोलीएमोरी और  स्विंगिंग” जिसे शुद्ध हिंदी में कहते है शादीशुदा लोगों द्वारा आपस में इंटरकोर्स के लिए रजामंदी से  पति-पत्नी बदलना जिसे अमेरिकन सेक्सुअल फ्रीडम कहते है | इसकी शुरुआत हुई अमेरिका में, और वर्तमान में एक सर्वे में 4% से 5% लोग अमेरिका में इस कल्चर का अनुसरण कर रहे है | चूँकि अमेरिका पचास अलग-अलग संस्कृति के राज्यों का समूह है इसलिए अमेरिका में सम्पूर्ण विश्व की सस्कृति बसती है | 

आश्चर्य की बात यह है  कि यह कल्चर विश्व के अनेक देशो में फलफूल रहा है | भारत में भी इसकी शुरुआत मेट्रो सिटीज में हो चुकी है मगर चूँकि भारत में ऐसा कानून न होने की वजह से इस कल्चर का चुपके-चुपके अनुसरण किया जा रहा है | बड़ा ही सोचने का विषय है कि हमारी आने वाली पीढ़ी पर और वर्तमान पीढ़ी पर इन सभी वाहियात रीति-रिवाजों का क्या प्रभाव पड़ रहा है और हमारी संस्कृति को हम कैसे बचा रहे है | यह तो आने वाला वक्त और युवापिढ़ी ही बाताएगी |

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                  Source- Lacigreen

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