Showing posts with label business news. Show all posts
Showing posts with label business news. Show all posts

Sunday 23 October 2016

Shopping:आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो सावधान हो जाइए

online shopping hackers 
अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो सावधान हो जाइएहो सकता है कि वेब दुनिया में आपके द्वारा की जा रही खरीदारी पर हैकरों की नज़र हो. और हो सकता है कि हैकर आपके द्वारा की जा रही ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान आपके क्रेडिट कार्ड का डेटा चुरा रहे हों. एक शोध से पता चला है कि ऑनलाइन शॉपिंग कराने वाली लगभग 6000 वेब शॉप साइटें आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारियां चुरा कर उसका गलत उपयोग कर रही हैं. डच डेवलपर विलियम डी ग्रूट ने बताया कि आपका क्रेडिट कार्ड का कोड साइबर चोर द्वारा साइटों पर डाला जाता है.

उन्होंने जांच में पाया कि लगभग 5925 ऐसी वेब साइट हैं. उन्होंने कहा कि कुछ चोरी किए गए डेटा रूस सर्वर से भेजे गए थे. डी ग्रूट डच इ कॉमर्स साइट बाइट डॉट एनएल के सहसंस्थापक हैं. उन्होंने ब्लॉगस्पॉट में कहा कि हैकर सबसे अधिक उपयोग की जानेवाली साइटों को अपना निशाना बनाते हैं. वे जब उन वेबसाइटों में अपना रास्ता बना लेते हैं उसके बाद वे उन साइटों से आपकी क्रेडिट कार्ड और दूसरी लेनदेन की जानकारियां चुरा लेते हैं. उन्होंने आगे कहा कि उस चोरी किए गए डेटा प्रति कार्ड 30 डॉलर के हिसाब से डार्क वेब मार्केट बेच देते हैं. उन्होंने शोध में चोरी किए गए नौ अलग-अलग कोड्स का पता लगायाजिसमें कई अलग-अलग हैकर समूह शामिल पाए गए. डी ग्रूट ने बताया कि वे तभी से हैकरों की जांच पड़ताल में लगे थे जबसे उनके कार्ड की जानकारियां चोरी हुईं थी. 


अगर ग्रूट के काम पर नजर डालें तो लगता है कि उन्होंने 2015 के अंत में हैकरों की जांच की शुरुआत कीलेकिन असल में उन्होंने मई 2015 में शोध शुरू कर दिया था. उसी वर्ष के अंत तक लगभग 3500 से अधिक साइटों के बारे में पता चल गया था. उसके बाद लगातार जारी जांच में डी ग्रूट ने 18 महीनों में ऐसी 5,925 साइटों का पता लगाया. हैकरों के चंगुल में कार निर्माताफैशन कंपनियांसरकारी साइटें और संग्रहालय शामिल थे. फिलहालडेटा चोरी होने के नए मामले अभी नहीं आ रहे हैं.क्योंकि अब स्टोर मालिक अपने सॉफ्टवेयर नियमित रूप से अपडेट कर रहे हैं. 

डी ग्रूट ने लिखते हैं कि यह एक महंगा मामला है और हर दुकानदार इसे नजरअंदाज भी कर देता है. डी ग्रूट बताते हैं कि कंपनियों की लिस्ट जारी करने के बाद कुछ स्टोर ने इसे संजीदगी से लिया है. ग्रूट ने हमारे संवाददाता  को बताया कि मैं ग्राहकों से कहना चाहता हूं कि वे जब भी खरीददारी करें तो जानीमानी साइट जैसे पेपल पर ही विश्वास करें. जहां 100 से अधिक लोग सिर्फ वहां पर साइट और आपके द्वारा दी जा रही सूचना की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं.
                             BY- Rajat Nagda
                         Medical Student,Indore 
Related Articles- 


Shopping:आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो सावधान हो जाइए

online shopping hackers 
अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो सावधान हो जाइएहो सकता है कि वेब दुनिया में आपके द्वारा की जा रही खरीदारी पर हैकरों की नज़र हो. और हो सकता है कि हैकर आपके द्वारा की जा रही ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान आपके क्रेडिट कार्ड का डेटा चुरा रहे हों. एक शोध से पता चला है कि ऑनलाइन शॉपिंग कराने वाली लगभग 6000 वेब शॉप साइटें आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारियां चुरा कर उसका गलत उपयोग कर रही हैं. डच डेवलपर विलियम डी ग्रूट ने बताया कि आपका क्रेडिट कार्ड का कोड साइबर चोर द्वारा साइटों पर डाला जाता है.

उन्होंने जांच में पाया कि लगभग 5925 ऐसी वेब साइट हैं. उन्होंने कहा कि कुछ चोरी किए गए डेटा रूस सर्वर से भेजे गए थे. डी ग्रूट डच इ कॉमर्स साइट बाइट डॉट एनएल के सहसंस्थापक हैं. उन्होंने ब्लॉगस्पॉट में कहा कि हैकर सबसे अधिक उपयोग की जानेवाली साइटों को अपना निशाना बनाते हैं. वे जब उन वेबसाइटों में अपना रास्ता बना लेते हैं उसके बाद वे उन साइटों से आपकी क्रेडिट कार्ड और दूसरी लेनदेन की जानकारियां चुरा लेते हैं. उन्होंने आगे कहा कि उस चोरी किए गए डेटा प्रति कार्ड 30 डॉलर के हिसाब से डार्क वेब मार्केट बेच देते हैं. उन्होंने शोध में चोरी किए गए नौ अलग-अलग कोड्स का पता लगायाजिसमें कई अलग-अलग हैकर समूह शामिल पाए गए. डी ग्रूट ने बताया कि वे तभी से हैकरों की जांच पड़ताल में लगे थे जबसे उनके कार्ड की जानकारियां चोरी हुईं थी. 


अगर ग्रूट के काम पर नजर डालें तो लगता है कि उन्होंने 2015 के अंत में हैकरों की जांच की शुरुआत कीलेकिन असल में उन्होंने मई 2015 में शोध शुरू कर दिया था. उसी वर्ष के अंत तक लगभग 3500 से अधिक साइटों के बारे में पता चल गया था. उसके बाद लगातार जारी जांच में डी ग्रूट ने 18 महीनों में ऐसी 5,925 साइटों का पता लगाया. हैकरों के चंगुल में कार निर्माताफैशन कंपनियांसरकारी साइटें और संग्रहालय शामिल थे. फिलहालडेटा चोरी होने के नए मामले अभी नहीं आ रहे हैं.क्योंकि अब स्टोर मालिक अपने सॉफ्टवेयर नियमित रूप से अपडेट कर रहे हैं. 

डी ग्रूट ने लिखते हैं कि यह एक महंगा मामला है और हर दुकानदार इसे नजरअंदाज भी कर देता है. डी ग्रूट बताते हैं कि कंपनियों की लिस्ट जारी करने के बाद कुछ स्टोर ने इसे संजीदगी से लिया है. ग्रूट ने हमारे संवाददाता  को बताया कि मैं ग्राहकों से कहना चाहता हूं कि वे जब भी खरीददारी करें तो जानीमानी साइट जैसे पेपल पर ही विश्वास करें. जहां 100 से अधिक लोग सिर्फ वहां पर साइट और आपके द्वारा दी जा रही सूचना की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं.
                             BY- Rajat Nagda
                         Medical Student,Indore 
Related Articles- 


Shopping:आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो सावधान हो जाइए

online shopping hackers 
अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो सावधान हो जाइएहो सकता है कि वेब दुनिया में आपके द्वारा की जा रही खरीदारी पर हैकरों की नज़र हो. और हो सकता है कि हैकर आपके द्वारा की जा रही ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान आपके क्रेडिट कार्ड का डेटा चुरा रहे हों. एक शोध से पता चला है कि ऑनलाइन शॉपिंग कराने वाली लगभग 6000 वेब शॉप साइटें आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारियां चुरा कर उसका गलत उपयोग कर रही हैं. डच डेवलपर विलियम डी ग्रूट ने बताया कि आपका क्रेडिट कार्ड का कोड साइबर चोर द्वारा साइटों पर डाला जाता है.

उन्होंने जांच में पाया कि लगभग 5925 ऐसी वेब साइट हैं. उन्होंने कहा कि कुछ चोरी किए गए डेटा रूस सर्वर से भेजे गए थे. डी ग्रूट डच इ कॉमर्स साइट बाइट डॉट एनएल के सहसंस्थापक हैं. उन्होंने ब्लॉगस्पॉट में कहा कि हैकर सबसे अधिक उपयोग की जानेवाली साइटों को अपना निशाना बनाते हैं. वे जब उन वेबसाइटों में अपना रास्ता बना लेते हैं उसके बाद वे उन साइटों से आपकी क्रेडिट कार्ड और दूसरी लेनदेन की जानकारियां चुरा लेते हैं. उन्होंने आगे कहा कि उस चोरी किए गए डेटा प्रति कार्ड 30 डॉलर के हिसाब से डार्क वेब मार्केट बेच देते हैं. उन्होंने शोध में चोरी किए गए नौ अलग-अलग कोड्स का पता लगायाजिसमें कई अलग-अलग हैकर समूह शामिल पाए गए. डी ग्रूट ने बताया कि वे तभी से हैकरों की जांच पड़ताल में लगे थे जबसे उनके कार्ड की जानकारियां चोरी हुईं थी. 


अगर ग्रूट के काम पर नजर डालें तो लगता है कि उन्होंने 2015 के अंत में हैकरों की जांच की शुरुआत कीलेकिन असल में उन्होंने मई 2015 में शोध शुरू कर दिया था. उसी वर्ष के अंत तक लगभग 3500 से अधिक साइटों के बारे में पता चल गया था. उसके बाद लगातार जारी जांच में डी ग्रूट ने 18 महीनों में ऐसी 5,925 साइटों का पता लगाया. हैकरों के चंगुल में कार निर्माताफैशन कंपनियांसरकारी साइटें और संग्रहालय शामिल थे. फिलहालडेटा चोरी होने के नए मामले अभी नहीं आ रहे हैं.क्योंकि अब स्टोर मालिक अपने सॉफ्टवेयर नियमित रूप से अपडेट कर रहे हैं. 

डी ग्रूट ने लिखते हैं कि यह एक महंगा मामला है और हर दुकानदार इसे नजरअंदाज भी कर देता है. डी ग्रूट बताते हैं कि कंपनियों की लिस्ट जारी करने के बाद कुछ स्टोर ने इसे संजीदगी से लिया है. ग्रूट ने हमारे संवाददाता  को बताया कि मैं ग्राहकों से कहना चाहता हूं कि वे जब भी खरीददारी करें तो जानीमानी साइट जैसे पेपल पर ही विश्वास करें. जहां 100 से अधिक लोग सिर्फ वहां पर साइट और आपके द्वारा दी जा रही सूचना की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं.
                             BY- Rajat Nagda
                         Medical Student,Indore 
Related Articles- 


Thursday 8 September 2016

जानकर रह जाएंगे हैरान,इंडियन रुपये की कैसे बनी पहचान


पैसा ये पैसा, कैसा है ये पैसा ? धन आग्रह की ऐसी विषय वस्तु है जिसके पीछे दुनिया दौड़ती है। इसके बिना कुछ होता भी नहीं है। यह भी सत्य है कि बिना पैसे के आजकल कोई काम नहीं बनता,मतलब अपना सपना मनी-मनी । आज हम आपको रुपये की शुरूआत से लेकर आज तक की विशेष जानकारी से रूबरू कराएंगे।
हमारे भारत में करंसी का इतिहास लगभग 2500 साल पुराना हैं। इसकी शुरूआत बहुत पहले एक राजा द्वारा की गई थी।


यदि आपके पास फिलहाल आधे से ज्यादा फटा हुआ नोट है तो भी आप बैंक में जाकर उसे बदल सकते हैं।
सन 1917 में 1 रुपया का मूल्य लगभग 13 डॉलर के बराबर हुआ करता था और फिर 1947 में रुपया हो गया एक डॉलर के बराबर । और समय के साथ फिर धीरे-धीरे इंडिया पर कर्ज बढ़ने लगा तो उस समय इंदिरा गांधी ने कर्ज चुकाने के लिए रूपये की कीमत तुरंत कम करने का अहम फैसला लिया जिसके बाद आज तक भारतीय रूपये की कीमत सतत घटती आ रही हैं।


अगर उस समय अंग्रेजों का बस चला होता तो आज इंडिया की करंसी पाउंड होती। लेकिन रुपए की मजबूती के चलते ऐसा संभव न हो सका।
इस समय की अगर हम बात करे तो भारत में लगभग 400 करोड़ रूपए के नकली नोट घूम रहे हैं।
एक और खास बात कि आपको भारतीय नोट के सीरियल नंबर में I, J, O, X, Y, Z जैसे  अक्षर कभी नही देखने को मिलेंगे। ये सुरक्षा के कारणों के चलते होगा ।


आप जानते है हर हिंदुस्तानी नोट पर किसी न किसी विषय वस्तु की फोटो छपी होती हैं जैसे बात करें 20 रुपए के नोट कि तो इस पर अंडमान आइलैंड की तस्वीर होती है । और 10 रुपए के नोट पर हाथी कि फोटो, गैंडा और शेर भी छपा हुआ होता है, वहीं जबकि 100 रुपए के नोट पर पहाड़ और बादल की इमेज होती है। इसके साथ ही 500 रुपए के नोट पर हमारे देश की आजादी के समय आंदोलन से जुड़ी 11 मूर्तियों की तस्वीर छपी होती हैं।
आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि हिंदुस्तानी नोट पर उसकी कीमत लगभग 15 विविध भाषाओं में लिखी जाती हैं, जो कि काफी विचित्र है ।


एक विशेष बात जो यह कि 1 रूपए में 100 पैसे होगे यह 1957 में लागू किया गया था। और शुरुआत मे इसे 16 आने के रूप मे में बाँटा जाता था।
हमारे देश की RBI, ने जनवरी 1938 में प्रथम बार रूपए की पेपर करंसी छापी थी। और  इसी साल 10,000 रूपए का नोट भी छापकर मार्केट मे लाया गया था लेकिन फिर इसे सन 1978 मे पूरी तरह बंद कर दिया गया। 
हमारी आजादी के बाद पाकिस्तान देश ने तब तक इंडियन मुद्रा का प्रयोग किया जब तक कि उन्होनें अपने काम चलाने लायक नोट न छाप लिए।


भारतीय नोट किसी आम कागज से नहीं बनते है बल्कि कॉटन के बने होते हैं। यह नोट  इतने मजबूत और टिकाऊ होते हैं कि आप नए नोट के दोनो सिरों को पकड़कर भी उसे फाड़ नही पाएंगे।
रोचक बात कि एक समय ऐसा भी आया था, जब पड़ोसी देश बांग्लादेश ब्लेड बनाने के लिए इंडिया से 5 रूपए के सिक्के मंगवाता था। बता दे कि 5 रूपए के एक सिक्के से 6 ब्लेड उस समय बनते थे और 1 ब्लेड की कीमत लगभग 2 रूपए होती थी जिससे ब्लेड बनाने वाले मालिकों को अच्छा फायदा होता था। इन कारणो को देखते हुए इंडियन गवर्नमेंट ने सिक्का बनाने वाला वह मेटल ही बदल दिया था ।


फिर हमारी आजादी के बाद सिक्के तांबे के बनने लगे । उसके बाद 1964 में एल्युमिनियम के और 1988 में स्टेनलेस स्टील सिक्के चलन मे आए।
एक और खास बात यह कि भारत के 500 और 1,000 रूपये के नोट पड़ोसी देश नेपाल में नही चलते है ।
आजाद इंडिया में 75 रुपये, 100 रुपये और 1000 रुपये के भी सिक्के छप चुके हैं।
एक रुपए  का नोट भारत सरकार द्वारा और 2 से 1,000 रूपए तक के नोट हमारी RBI द्वारा जारी किये जाते हैं.

भारतीय नोटो पर सीरियल नंबर इसलिए डालते हैं ताकि आरबीआई को जानकारी मिलती रहे कि इस वक्त बाजार में कितनी करंसी विध्यमान हैं।
रुपया हमारे भारत के अलावा इंडोनेशिया, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका मे भी हैं।


Source... Bharat Swabhiman

जानकर रह जाएंगे हैरान,इंडियन रुपये की कैसे बनी पहचान


पैसा ये पैसा, कैसा है ये पैसा ? धन आग्रह की ऐसी विषय वस्तु है जिसके पीछे दुनिया दौड़ती है। इसके बिना कुछ होता भी नहीं है। यह भी सत्य है कि बिना पैसे के आजकल कोई काम नहीं बनता,मतलब अपना सपना मनी-मनी । आज हम आपको रुपये की शुरूआत से लेकर आज तक की विशेष जानकारी से रूबरू कराएंगे।
हमारे भारत में करंसी का इतिहास लगभग 2500 साल पुराना हैं। इसकी शुरूआत बहुत पहले एक राजा द्वारा की गई थी।


यदि आपके पास फिलहाल आधे से ज्यादा फटा हुआ नोट है तो भी आप बैंक में जाकर उसे बदल सकते हैं।
सन 1917 में 1 रुपया का मूल्य लगभग 13 डॉलर के बराबर हुआ करता था और फिर 1947 में रुपया हो गया एक डॉलर के बराबर । और समय के साथ फिर धीरे-धीरे इंडिया पर कर्ज बढ़ने लगा तो उस समय इंदिरा गांधी ने कर्ज चुकाने के लिए रूपये की कीमत तुरंत कम करने का अहम फैसला लिया जिसके बाद आज तक भारतीय रूपये की कीमत सतत घटती आ रही हैं।


अगर उस समय अंग्रेजों का बस चला होता तो आज इंडिया की करंसी पाउंड होती। लेकिन रुपए की मजबूती के चलते ऐसा संभव न हो सका।
इस समय की अगर हम बात करे तो भारत में लगभग 400 करोड़ रूपए के नकली नोट घूम रहे हैं।
एक और खास बात कि आपको भारतीय नोट के सीरियल नंबर में I, J, O, X, Y, Z जैसे  अक्षर कभी नही देखने को मिलेंगे। ये सुरक्षा के कारणों के चलते होगा ।


आप जानते है हर हिंदुस्तानी नोट पर किसी न किसी विषय वस्तु की फोटो छपी होती हैं जैसे बात करें 20 रुपए के नोट कि तो इस पर अंडमान आइलैंड की तस्वीर होती है । और 10 रुपए के नोट पर हाथी कि फोटो, गैंडा और शेर भी छपा हुआ होता है, वहीं जबकि 100 रुपए के नोट पर पहाड़ और बादल की इमेज होती है। इसके साथ ही 500 रुपए के नोट पर हमारे देश की आजादी के समय आंदोलन से जुड़ी 11 मूर्तियों की तस्वीर छपी होती हैं।
आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि हिंदुस्तानी नोट पर उसकी कीमत लगभग 15 विविध भाषाओं में लिखी जाती हैं, जो कि काफी विचित्र है ।


एक विशेष बात जो यह कि 1 रूपए में 100 पैसे होगे यह 1957 में लागू किया गया था। और शुरुआत मे इसे 16 आने के रूप मे में बाँटा जाता था।
हमारे देश की RBI, ने जनवरी 1938 में प्रथम बार रूपए की पेपर करंसी छापी थी। और  इसी साल 10,000 रूपए का नोट भी छापकर मार्केट मे लाया गया था लेकिन फिर इसे सन 1978 मे पूरी तरह बंद कर दिया गया। 
हमारी आजादी के बाद पाकिस्तान देश ने तब तक इंडियन मुद्रा का प्रयोग किया जब तक कि उन्होनें अपने काम चलाने लायक नोट न छाप लिए।


भारतीय नोट किसी आम कागज से नहीं बनते है बल्कि कॉटन के बने होते हैं। यह नोट  इतने मजबूत और टिकाऊ होते हैं कि आप नए नोट के दोनो सिरों को पकड़कर भी उसे फाड़ नही पाएंगे।
रोचक बात कि एक समय ऐसा भी आया था, जब पड़ोसी देश बांग्लादेश ब्लेड बनाने के लिए इंडिया से 5 रूपए के सिक्के मंगवाता था। बता दे कि 5 रूपए के एक सिक्के से 6 ब्लेड उस समय बनते थे और 1 ब्लेड की कीमत लगभग 2 रूपए होती थी जिससे ब्लेड बनाने वाले मालिकों को अच्छा फायदा होता था। इन कारणो को देखते हुए इंडियन गवर्नमेंट ने सिक्का बनाने वाला वह मेटल ही बदल दिया था ।


फिर हमारी आजादी के बाद सिक्के तांबे के बनने लगे । उसके बाद 1964 में एल्युमिनियम के और 1988 में स्टेनलेस स्टील सिक्के चलन मे आए।
एक और खास बात यह कि भारत के 500 और 1,000 रूपये के नोट पड़ोसी देश नेपाल में नही चलते है ।
आजाद इंडिया में 75 रुपये, 100 रुपये और 1000 रुपये के भी सिक्के छप चुके हैं।
एक रुपए  का नोट भारत सरकार द्वारा और 2 से 1,000 रूपए तक के नोट हमारी RBI द्वारा जारी किये जाते हैं.

भारतीय नोटो पर सीरियल नंबर इसलिए डालते हैं ताकि आरबीआई को जानकारी मिलती रहे कि इस वक्त बाजार में कितनी करंसी विध्यमान हैं।
रुपया हमारे भारत के अलावा इंडोनेशिया, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका मे भी हैं।


Source... Bharat Swabhiman

जानकर रह जाएंगे हैरान,इंडियन रुपये की कैसे बनी पहचान


पैसा ये पैसा, कैसा है ये पैसा ? धन आग्रह की ऐसी विषय वस्तु है जिसके पीछे दुनिया दौड़ती है। इसके बिना कुछ होता भी नहीं है। यह भी सत्य है कि बिना पैसे के आजकल कोई काम नहीं बनता,मतलब अपना सपना मनी-मनी । आज हम आपको रुपये की शुरूआत से लेकर आज तक की विशेष जानकारी से रूबरू कराएंगे।
हमारे भारत में करंसी का इतिहास लगभग 2500 साल पुराना हैं। इसकी शुरूआत बहुत पहले एक राजा द्वारा की गई थी।


यदि आपके पास फिलहाल आधे से ज्यादा फटा हुआ नोट है तो भी आप बैंक में जाकर उसे बदल सकते हैं।
सन 1917 में 1 रुपया का मूल्य लगभग 13 डॉलर के बराबर हुआ करता था और फिर 1947 में रुपया हो गया एक डॉलर के बराबर । और समय के साथ फिर धीरे-धीरे इंडिया पर कर्ज बढ़ने लगा तो उस समय इंदिरा गांधी ने कर्ज चुकाने के लिए रूपये की कीमत तुरंत कम करने का अहम फैसला लिया जिसके बाद आज तक भारतीय रूपये की कीमत सतत घटती आ रही हैं।


अगर उस समय अंग्रेजों का बस चला होता तो आज इंडिया की करंसी पाउंड होती। लेकिन रुपए की मजबूती के चलते ऐसा संभव न हो सका।
इस समय की अगर हम बात करे तो भारत में लगभग 400 करोड़ रूपए के नकली नोट घूम रहे हैं।
एक और खास बात कि आपको भारतीय नोट के सीरियल नंबर में I, J, O, X, Y, Z जैसे  अक्षर कभी नही देखने को मिलेंगे। ये सुरक्षा के कारणों के चलते होगा ।


आप जानते है हर हिंदुस्तानी नोट पर किसी न किसी विषय वस्तु की फोटो छपी होती हैं जैसे बात करें 20 रुपए के नोट कि तो इस पर अंडमान आइलैंड की तस्वीर होती है । और 10 रुपए के नोट पर हाथी कि फोटो, गैंडा और शेर भी छपा हुआ होता है, वहीं जबकि 100 रुपए के नोट पर पहाड़ और बादल की इमेज होती है। इसके साथ ही 500 रुपए के नोट पर हमारे देश की आजादी के समय आंदोलन से जुड़ी 11 मूर्तियों की तस्वीर छपी होती हैं।
आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि हिंदुस्तानी नोट पर उसकी कीमत लगभग 15 विविध भाषाओं में लिखी जाती हैं, जो कि काफी विचित्र है ।


एक विशेष बात जो यह कि 1 रूपए में 100 पैसे होगे यह 1957 में लागू किया गया था। और शुरुआत मे इसे 16 आने के रूप मे में बाँटा जाता था।
हमारे देश की RBI, ने जनवरी 1938 में प्रथम बार रूपए की पेपर करंसी छापी थी। और  इसी साल 10,000 रूपए का नोट भी छापकर मार्केट मे लाया गया था लेकिन फिर इसे सन 1978 मे पूरी तरह बंद कर दिया गया। 
हमारी आजादी के बाद पाकिस्तान देश ने तब तक इंडियन मुद्रा का प्रयोग किया जब तक कि उन्होनें अपने काम चलाने लायक नोट न छाप लिए।


भारतीय नोट किसी आम कागज से नहीं बनते है बल्कि कॉटन के बने होते हैं। यह नोट  इतने मजबूत और टिकाऊ होते हैं कि आप नए नोट के दोनो सिरों को पकड़कर भी उसे फाड़ नही पाएंगे।
रोचक बात कि एक समय ऐसा भी आया था, जब पड़ोसी देश बांग्लादेश ब्लेड बनाने के लिए इंडिया से 5 रूपए के सिक्के मंगवाता था। बता दे कि 5 रूपए के एक सिक्के से 6 ब्लेड उस समय बनते थे और 1 ब्लेड की कीमत लगभग 2 रूपए होती थी जिससे ब्लेड बनाने वाले मालिकों को अच्छा फायदा होता था। इन कारणो को देखते हुए इंडियन गवर्नमेंट ने सिक्का बनाने वाला वह मेटल ही बदल दिया था ।


फिर हमारी आजादी के बाद सिक्के तांबे के बनने लगे । उसके बाद 1964 में एल्युमिनियम के और 1988 में स्टेनलेस स्टील सिक्के चलन मे आए।
एक और खास बात यह कि भारत के 500 और 1,000 रूपये के नोट पड़ोसी देश नेपाल में नही चलते है ।
आजाद इंडिया में 75 रुपये, 100 रुपये और 1000 रुपये के भी सिक्के छप चुके हैं।
एक रुपए  का नोट भारत सरकार द्वारा और 2 से 1,000 रूपए तक के नोट हमारी RBI द्वारा जारी किये जाते हैं.

भारतीय नोटो पर सीरियल नंबर इसलिए डालते हैं ताकि आरबीआई को जानकारी मिलती रहे कि इस वक्त बाजार में कितनी करंसी विध्यमान हैं।
रुपया हमारे भारत के अलावा इंडोनेशिया, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका मे भी हैं।


Source... Bharat Swabhiman