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Friday 20 July 2012

जाने क्यूँ ये दर्द,मीठा-मीठा-सा लगता है



जाने क्यूँ ये दर्द, मीठा-मीठा -सा लगता है
हर ज़ख्म पर कोई, मिश्री घोल रहा हो जैसे
अपने ही आंसुओं पर, दरिया बन गई है ये आँखें
हर नज़र में कोई शख्स,शबनम टटोल रहा हो जैसे
अपनों का कारवां अपनी ही नब्ज़ में शूल सा लगता है
         कतरा कतरा यूँ घुट-घुटकर खुदी को ज़ार-ज़ार कर रहा हो जैसे
ऐ जहां वालों अब तो विराना ही अपना ताजमहल लगता है
                      शीशों के घरोंदो में दम साँसों का,बार-बार लुट रहा हो जैसे !


जाने क्यूँ ये दर्द,मीठा-मीठा-सा लगता है



जाने क्यूँ ये दर्द, मीठा-मीठा -सा लगता है
हर ज़ख्म पर कोई, मिश्री घोल रहा हो जैसे
अपने ही आंसुओं पर, दरिया बन गई है ये आँखें
हर नज़र में कोई शख्स,शबनम टटोल रहा हो जैसे
अपनों का कारवां अपनी ही नब्ज़ में शूल सा लगता है
         कतरा कतरा यूँ घुट-घुटकर खुदी को ज़ार-ज़ार कर रहा हो जैसे
ऐ जहां वालों अब तो विराना ही अपना ताजमहल लगता है
                      शीशों के घरोंदो में दम साँसों का,बार-बार लुट रहा हो जैसे !


जाने क्यूँ ये दर्द,मीठा-मीठा-सा लगता है



जाने क्यूँ ये दर्द, मीठा-मीठा -सा लगता है
हर ज़ख्म पर कोई, मिश्री घोल रहा हो जैसे
अपने ही आंसुओं पर, दरिया बन गई है ये आँखें
हर नज़र में कोई शख्स,शबनम टटोल रहा हो जैसे
अपनों का कारवां अपनी ही नब्ज़ में शूल सा लगता है
         कतरा कतरा यूँ घुट-घुटकर खुदी को ज़ार-ज़ार कर रहा हो जैसे
ऐ जहां वालों अब तो विराना ही अपना ताजमहल लगता है
                      शीशों के घरोंदो में दम साँसों का,बार-बार लुट रहा हो जैसे !


Saturday 21 April 2012

महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है


महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है
महज हाड़-मांस में ही कल-पुर्जों की हुई घिसाई है
बाखुदा मोहब्बत तो आज भी कतरे-कतरे में उफान पर है
इस नामुराद जमाने ने हम पे बुड़ापे की सिल लगाईं है
यूँ तो तज़ुर्बा जवानी का बेशुमार रहा इस ख़ादिम को
यूँ तो हुस्न की अनारकलियों ने दिलो-जान से चाहा इस सलीम को
लेकिन अब इन बदनों की हवस से दिलों की हुई रुसवाई है
हम अपने इश्क की मिसाल क्या दे तुमको ऐ जहां वालों
हम अपने हुनर को कैसे सोंप दे तुमको ऐ जहां वालों
डूबकर किया है इश्क ये मुलाक़ात उसी की सच्चाई है !

महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है


महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है
महज हाड़-मांस में ही कल-पुर्जों की हुई घिसाई है
बाखुदा मोहब्बत तो आज भी कतरे-कतरे में उफान पर है
इस नामुराद जमाने ने हम पे बुड़ापे की सिल लगाईं है
यूँ तो तज़ुर्बा जवानी का बेशुमार रहा इस ख़ादिम को
यूँ तो हुस्न की अनारकलियों ने दिलो-जान से चाहा इस सलीम को
लेकिन अब इन बदनों की हवस से दिलों की हुई रुसवाई है
हम अपने इश्क की मिसाल क्या दे तुमको ऐ जहां वालों
हम अपने हुनर को कैसे सोंप दे तुमको ऐ जहां वालों
डूबकर किया है इश्क ये मुलाक़ात उसी की सच्चाई है !

महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है


महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है
महज हाड़-मांस में ही कल-पुर्जों की हुई घिसाई है
बाखुदा मोहब्बत तो आज भी कतरे-कतरे में उफान पर है
इस नामुराद जमाने ने हम पे बुड़ापे की सिल लगाईं है
यूँ तो तज़ुर्बा जवानी का बेशुमार रहा इस ख़ादिम को
यूँ तो हुस्न की अनारकलियों ने दिलो-जान से चाहा इस सलीम को
लेकिन अब इन बदनों की हवस से दिलों की हुई रुसवाई है
हम अपने इश्क की मिसाल क्या दे तुमको ऐ जहां वालों
हम अपने हुनर को कैसे सोंप दे तुमको ऐ जहां वालों
डूबकर किया है इश्क ये मुलाक़ात उसी की सच्चाई है !

Tuesday 17 April 2012

सोचने का अंदाज़ बदलो,बस


सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
शुलों को गुलों में बदलते चलो
मंजिल खुद दोड़ी चली आएगी
दुश्मन को भी दोस्त बनाते चलो
दोस्ती की मिसाल बड़ जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
लहरों से दिल लगाते चलो
समंदर से पहचान बड़ जायेगी
आसमानों में ख़ुशी के दीप जलाते चलो
अंधेरों की घटा छट जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
गुरुओं की शरण में समाते चलो
ज्ञान की गंगा बड़ जायेगी
माँ-बाप की सेवा करते चलो
जन्नत नसीबों में छा जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
बच्चों पे प्रेम लुटाते चलो
खुदा से रूबरू रूह हो जायेगी
दिन-दुखियों का दर्द मिटाते चलो
दुवाओं से झोली भर जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
मीठा गीत कोई गाते चलो
गले की खराश मिट जायेगी
हर इम्तहान में आत्मविश्वास जगाते चलो
मेहनत जरुर रंग लाएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
निगाहों में ख्वाब कोई सजाते चलो
सुबह से मिलने हकीकत बेशक आएगी
हर पल एक हाथ नया मिलाते चलो
सारी कायनात आघोष में सिमट आएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी !


सोचने का अंदाज़ बदलो,बस


सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
शुलों को गुलों में बदलते चलो
मंजिल खुद दोड़ी चली आएगी
दुश्मन को भी दोस्त बनाते चलो
दोस्ती की मिसाल बड़ जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
लहरों से दिल लगाते चलो
समंदर से पहचान बड़ जायेगी
आसमानों में ख़ुशी के दीप जलाते चलो
अंधेरों की घटा छट जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
गुरुओं की शरण में समाते चलो
ज्ञान की गंगा बड़ जायेगी
माँ-बाप की सेवा करते चलो
जन्नत नसीबों में छा जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
बच्चों पे प्रेम लुटाते चलो
खुदा से रूबरू रूह हो जायेगी
दिन-दुखियों का दर्द मिटाते चलो
दुवाओं से झोली भर जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
मीठा गीत कोई गाते चलो
गले की खराश मिट जायेगी
हर इम्तहान में आत्मविश्वास जगाते चलो
मेहनत जरुर रंग लाएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
निगाहों में ख्वाब कोई सजाते चलो
सुबह से मिलने हकीकत बेशक आएगी
हर पल एक हाथ नया मिलाते चलो
सारी कायनात आघोष में सिमट आएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी !


सोचने का अंदाज़ बदलो,बस


सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
शुलों को गुलों में बदलते चलो
मंजिल खुद दोड़ी चली आएगी
दुश्मन को भी दोस्त बनाते चलो
दोस्ती की मिसाल बड़ जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
लहरों से दिल लगाते चलो
समंदर से पहचान बड़ जायेगी
आसमानों में ख़ुशी के दीप जलाते चलो
अंधेरों की घटा छट जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
गुरुओं की शरण में समाते चलो
ज्ञान की गंगा बड़ जायेगी
माँ-बाप की सेवा करते चलो
जन्नत नसीबों में छा जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
बच्चों पे प्रेम लुटाते चलो
खुदा से रूबरू रूह हो जायेगी
दिन-दुखियों का दर्द मिटाते चलो
दुवाओं से झोली भर जायेगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
मीठा गीत कोई गाते चलो
गले की खराश मिट जायेगी
हर इम्तहान में आत्मविश्वास जगाते चलो
मेहनत जरुर रंग लाएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी
निगाहों में ख्वाब कोई सजाते चलो
सुबह से मिलने हकीकत बेशक आएगी
हर पल एक हाथ नया मिलाते चलो
सारी कायनात आघोष में सिमट आएगी
सोचने का अंदाज़ बदलो
दुनिया बदल जायेगी !