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Thursday 12 May 2016

“हाय ! तेरे होठों की लाली...”


तीर नयन के मारे थे,
हम पर कितने किये इशारे थे,
कितने तुम्हारे चहिते,
कितने तुम्हारे प्यारे थे,
उम्र थी वह बाली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


मन के आँगन में,
सपनो के दामन में,
खिले-खिले यौवन में,
लगती थी शराब की प्याली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


वो आँखों का नशिलापन,
हाथों में खनकते सतरंगी कंगन,
गोरे-गोरे गालों का गुलाबीपन,
और नाक पर बलखाती बाली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


चाल में तेरी वो लचीलापन,
यूँ उभरता हुआ तेरा गुलबदन,
उस पर पायलों की बजती छन-छन,
और वो अदा तेरी मतवाली,
कसम से लगती थी कच्ची कली,
हाय ! तेरे होठों की लाली.......!!!!


हाय : तेरे होठों की लाली


तीर नयन के मारे थे,
हम पर कितने किये इशारे थे,
कितने तुम्हारे चहिते,
कितने तुम्हारे प्यारे थे,
उम्र थी वह बाली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


मन के आँगन में,
सपनो के दामन में,
खिले-खिले यौवन में,
लगती थी शराब की प्याली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


वो आँखों का नशिलापन,
हाथों में खनकते सतरंगी कंगन,
गोरे-गोरे गालों का गुलाबीपन,
और नाक पर बलखाती बाली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


चाल में तेरी वो लचीलापन,
यूँ उभरता हुआ तेरा गुलबदन,
उस पर पायलों की बजती छन-छन,
और वो अदा तेरी मतवाली,
कसम से लगती थी कच्ची कली,
हाय ! तेरे होठों की लाली.......!!!!

हाय : तेरे होठों की लाली


तीर नयन के मारे थे,
हम पर कितने किये इशारे थे,
कितने तुम्हारे चहिते,
कितने तुम्हारे प्यारे थे,
उम्र थी वह बाली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


मन के आँगन में,
सपनो के दामन में,
खिले-खिले यौवन में,
लगती थी शराब की प्याली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


वो आँखों का नशिलापन,
हाथों में खनकते सतरंगी कंगन,
गोरे-गोरे गालों का गुलाबीपन,
और नाक पर बलखाती बाली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


चाल में तेरी वो लचीलापन,
यूँ उभरता हुआ तेरा गुलबदन,
उस पर पायलों की बजती छन-छन,
और वो अदा तेरी मतवाली,
कसम से लगती थी कच्ची कली,
हाय ! तेरे होठों की लाली.......!!!!

हाय : तेरे होठों की लाली


तीर नयन के मारे थे,
हम पर कितने किये इशारे थे,
कितने तुम्हारे चहिते,
कितने तुम्हारे प्यारे थे,
उम्र थी वह बाली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


मन के आँगन में,
सपनो के दामन में,
खिले-खिले यौवन में,
लगती थी शराब की प्याली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


वो आँखों का नशिलापन,
हाथों में खनकते सतरंगी कंगन,
गोरे-गोरे गालों का गुलाबीपन,
और नाक पर बलखाती बाली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


चाल में तेरी वो लचीलापन,
यूँ उभरता हुआ तेरा गुलबदन,
उस पर पायलों की बजती छन-छन,
और वो अदा तेरी मतवाली,
कसम से लगती थी कच्ची कली,
हाय ! तेरे होठों की लाली.......!!!!

हाय : तेरे होठों की लाली


तीर नयन के मारे थे,
हम पर कितने किये इशारे थे,
कितने तुम्हारे चहिते,
कितने तुम्हारे प्यारे थे,
उम्र थी वह बाली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


मन के आँगन में,
सपनो के दामन में,
खिले-खिले यौवन में,
लगती थी शराब की प्याली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


वो आँखों का नशिलापन,
हाथों में खनकते सतरंगी कंगन,
गोरे-गोरे गालों का गुलाबीपन,
और नाक पर बलखाती बाली,
हाय ! तेरे होठों की लाली...


चाल में तेरी वो लचीलापन,
यूँ उभरता हुआ तेरा गुलबदन,
उस पर पायलों की बजती छन-छन,
और वो अदा तेरी मतवाली,
कसम से लगती थी कच्ची कली,
हाय ! तेरे होठों की लाली.......!!!!

Tuesday 6 March 2012

जाने किस बरसात, बुझेगी मेरी प्यास ???




उसकी याद दिलाती हे ,

उसका चेहरा बताती हे,

मंद-मंद बहते हुए यूँ---

गुनगुनाती हे उसका नाम,

ये ढलती हुई शाम |

उसके प्यार का विश्वाश दिलाती हे,

उसके प्यार का एहसास दिलाती हे,

चोरी-चोरी,चुपके -चुपके यूँ ---

मुजको सुनाती हे उसका पैगाम,

ये ढलती हुई शाम |

धीरे-धीरे से ढलती जाती हे,

उसका हर हाले दिल सुनाती हे,

कभी मै ना मिलूं उसको तो  यूँ ---

मचा देती हे भयंकर कोहराम,

ये ढलती हुई शाम |

किरणों में उसकी आँखे चमकती हे,

हर तरफ सिर्फ उसकी झलक छलकती हे,

ऐसे -वैसे बलखाती,लहराती यूँ---

मेरे दिल को देती हे सुकून-ओ-आराम,

ये ढलती हुई शाम |

मुज पर शबनम-सी छा जाती हे,

मुझे अपने में समाँ लेती हे ,

हर घड़ी हर पल हर लम्हा यूँ---

उसकी मोहब्बत का पिलाती हे जाम,

ये ढलती हुई शाम |

................Pancho

जाने किस बरसात, बुझेगी मेरी प्यास ???




उसकी याद दिलाती हे ,

उसका चेहरा बताती हे,

मंद-मंद बहते हुए यूँ---

गुनगुनाती हे उसका नाम,

ये ढलती हुई शाम |

उसके प्यार का विश्वाश दिलाती हे,

उसके प्यार का एहसास दिलाती हे,

चोरी-चोरी,चुपके -चुपके यूँ ---

मुजको सुनाती हे उसका पैगाम,

ये ढलती हुई शाम |

धीरे-धीरे से ढलती जाती हे,

उसका हर हाले दिल सुनाती हे,

कभी मै ना मिलूं उसको तो  यूँ ---

मचा देती हे भयंकर कोहराम,

ये ढलती हुई शाम |

किरणों में उसकी आँखे चमकती हे,

हर तरफ सिर्फ उसकी झलक छलकती हे,

ऐसे -वैसे बलखाती,लहराती यूँ---

मेरे दिल को देती हे सुकून-ओ-आराम,

ये ढलती हुई शाम |

मुज पर शबनम-सी छा जाती हे,

मुझे अपने में समाँ लेती हे ,

हर घड़ी हर पल हर लम्हा यूँ---

उसकी मोहब्बत का पिलाती हे जाम,

ये ढलती हुई शाम |

................Pancho

जाने किस बरसात, बुझेगी मेरी प्यास ???




उसकी याद दिलाती हे ,

उसका चेहरा बताती हे,

मंद-मंद बहते हुए यूँ---

गुनगुनाती हे उसका नाम,

ये ढलती हुई शाम |

उसके प्यार का विश्वाश दिलाती हे,

उसके प्यार का एहसास दिलाती हे,

चोरी-चोरी,चुपके -चुपके यूँ ---

मुजको सुनाती हे उसका पैगाम,

ये ढलती हुई शाम |

धीरे-धीरे से ढलती जाती हे,

उसका हर हाले दिल सुनाती हे,

कभी मै ना मिलूं उसको तो  यूँ ---

मचा देती हे भयंकर कोहराम,

ये ढलती हुई शाम |

किरणों में उसकी आँखे चमकती हे,

हर तरफ सिर्फ उसकी झलक छलकती हे,

ऐसे -वैसे बलखाती,लहराती यूँ---

मेरे दिल को देती हे सुकून-ओ-आराम,

ये ढलती हुई शाम |

मुज पर शबनम-सी छा जाती हे,

मुझे अपने में समाँ लेती हे ,

हर घड़ी हर पल हर लम्हा यूँ---

उसकी मोहब्बत का पिलाती हे जाम,

ये ढलती हुई शाम |

................Pancho

Wednesday 29 February 2012

तू जिंदगी ना सही,तेरा एहसास हमेशा साथ रहेगा !

देखो फिर आँखोंमें नमी-सीछा गई है,

वो सूरत जोआँखों से ओझलहुई नहीं कभी,

वो यादें जो ख्यालोंसे दूर गईनहीं कभी,

आज वो चुपकेसे फिर ख़्वाबोंमें गईहै,

खुदा जो चाहा मैंनेवही तुने मुझकोदिया,

जिसमे तुझको देखा मैंनेवही तुने छीनलिया,

शिकायत नहीं तुझसेये इल्तजा रहगई है,

जैसे जिन्दगी जहां अबथमी-सी रहगई है,

बस जिन्दगी में उसकीकमी-सी रहगई है,,,,,,,,Pancho