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मै तो पैदा ही मरने के लिए हुआ हूँ, कोई शक ?


>>>मौत <<<
मंदिर भी गया, मस्जिद भी गया,
पूजा भी की, नमाज भी पड़ी,
चर्च भी गया, गुरुद्वारा भी गया,
प्रार्थना भी की, गुरुवाणी भी सुनी,
चारों धाम भी गया, हज-हवन भी किया,
गीता भी गाई, कुरान भी इबादत में आई,
संतों की शरण भी ली, सन्यासी का वेश भी धरा,
दर-दर भिक्षा भी मांगी, घर-घर दुआ भी दी,
धुनी भी रमाई, पाखंडीगिरी भी दिखाई,
कण-कण में खोकर, कण-कण हो गया,
नदियाँ, पर्वत और जंगलों में भ्रमण हो गया,
हरा-भरा शारीर मांस का, हाड़-सा कड़क हो गया,
शून्य से चला था, लो पूरा शतक हो गया,
और अंत में मिला क्या ???
>>>>मौत<<<<


मै तो पैदा ही मरने के लिए हुआ हूँ, कोई शक



>>>मौत <<<
मंदिर भी गया, मस्जिद भी गया,
पूजा भी की, नमाज भी पड़ी,
चर्च भी गया, गुरुद्वारा भी गया,
प्रार्थना भी की, गुरुवाणी भी सुनी,
चारों धाम भी गया, हज-हवन भी किया,
गीता भी गाई, कुरान भी इबादत में आई,
संतों की शरण भी ली, सन्यासी का वेश भी धरा,
दर-दर भिक्षा भी मांगी, घर-घर दुआ भी दी,
धुनी भी रमाई, पाखंडीगिरी भी दिखाई,
कण-कण में खोकर, कण-कण हो गया,
नदियाँ, पर्वत और जंगलों में भ्रमण हो गया,
हरा-भरा शारीर मांस का, हाड़-सा कड़क हो गया,
शून्य से चला था, लो पूरा शतक हो गया,
और अंत में मिला क्या ???
>>>>मौत<<<<


मै तो पैदा ही मरने के लिए हुआ हूँ, कोई शक



>>>मौत <<<
मंदिर भी गया, मस्जिद भी गया,
पूजा भी की, नमाज भी पड़ी,
चर्च भी गया, गुरुद्वारा भी गया,
प्रार्थना भी की, गुरुवाणी भी सुनी,
चारों धाम भी गया, हज-हवन भी किया,
गीता भी गाई, कुरान भी इबादत में आई,
संतों की शरण भी ली, सन्यासी का वेश भी धरा,
दर-दर भिक्षा भी मांगी, घर-घर दुआ भी दी,
धुनी भी रमाई, पाखंडीगिरी भी दिखाई,
कण-कण में खोकर, कण-कण हो गया,
नदियाँ, पर्वत और जंगलों में भ्रमण हो गया,
हरा-भरा शारीर मांस का, हाड़-सा कड़क हो गया,
शून्य से चला था, लो पूरा शतक हो गया,
और अंत में मिला क्या ???
>>>>मौत<<<<


मै तो पैदा ही मरने के लिए हुआ हूँ, कोई शक



>>>मौत <<<
मंदिर भी गया, मस्जिद भी गया,
पूजा भी की, नमाज भी पड़ी,
चर्च भी गया, गुरुद्वारा भी गया,
प्रार्थना भी की, गुरुवाणी भी सुनी,
चारों धाम भी गया, हज-हवन भी किया,
गीता भी गाई, कुरान भी इबादत में आई,
संतों की शरण भी ली, सन्यासी का वेश भी धरा,
दर-दर भिक्षा भी मांगी, घर-घर दुआ भी दी,
धुनी भी रमाई, पाखंडीगिरी भी दिखाई,
कण-कण में खोकर, कण-कण हो गया,
नदियाँ, पर्वत और जंगलों में भ्रमण हो गया,
हरा-भरा शारीर मांस का, हाड़-सा कड़क हो गया,
शून्य से चला था, लो पूरा शतक हो गया,
और अंत में मिला क्या ???
>>>>मौत<<<<


मै तो पैदा ही मरने के लिए हुआ हूँ, कोई शक



>>>मौत <<<
मंदिर भी गया, मस्जिद भी गया,
पूजा भी की, नमाज भी पड़ी,
चर्च भी गया, गुरुद्वारा भी गया,
प्रार्थना भी की, गुरुवाणी भी सुनी,
चारों धाम भी गया, हज-हवन भी किया,
गीता भी गाई, कुरान भी इबादत में आई,
संतों की शरण भी ली, सन्यासी का वेश भी धरा,
दर-दर भिक्षा भी मांगी, घर-घर दुआ भी दी,
धुनी भी रमाई, पाखंडीगिरी भी दिखाई,
कण-कण में खोकर, कण-कण हो गया,
नदियाँ, पर्वत और जंगलों में भ्रमण हो गया,
हरा-भरा शारीर मांस का, हाड़-सा कड़क हो गया,
शून्य से चला था, लो पूरा शतक हो गया,
और अंत में मिला क्या ???
>>>>मौत<<<<