आसमाँ से हल्का हनीमून टपकता है,
फिर भी धरती पे प्यासा शराबी है क्यूँ?
दिन के तड़के में देखो सूरज पिघलता है,
फिर भी चमगादड़ चाँदनी से परेशाँ है क्यूँ?
डोक्टर दांतों में कोलगेट की कमी बताता है,
फिर भी खाबों में जुलाबों के निशाँ है क्यूँ?
पडोसी को परदेसी की पत्नी पराई लगती है,
फिर भी बारिश भिकारी पे मेहरबाँ है क्यूँ?
तुफानो में चुडेल जलती जुल्फें सुखाती है,
फिर भी प्रधानमंत्री की बेटी जवाँ है क्यूँ?
पश्चिम में पैरों का पसीना नाक से बहता है,
फिर भी सुहागरात से परछाई इतनी हैराँ है क्यूँ?
सांप के सुन्दर ससुर को सौतेली माँ सताती है,
फिर भी समंदर की दाड़ी में टुटा तिनका है क्यूँ?
चुल्लू भर पानी,सारे सागर पे भारी पड़ता है,
फिर भी शबनम की बूंदों से पतंगा नहाता है क्यूँ?
यमराज मुर्दे की मौत पे अपनी नसबंदी करवाता है,
फिर भी चूहा थूंक से ही लिफ़ाफ़े पे टिकिट चिपकता है क्यूँ?
झींगुर के साथ लंगूर अपनी औकात दिखाता है,
झींगुर के साथ लंगूर अपनी औकात दिखाता है,
फिर भी शतरंज की शय से फटा प्यादे का गिरेबाँ है क्यूँ?
कोका कोला से मछलियों को खट्टे डकार आते है,
फिर भी भैंस के दूध से एड्स ठीक हो जाता है क्यूँ?