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हिन्दुधर्म में क्यों मनाते है नवरात्रि


नवरात्रि महत्व: हिन्दुओं में धार्मिक उत्सवों का विशेष महत्व है जिसमे नवरात्री सबसे पहले नंबर पर आती है, हिन्दुओं में मान्यता अनुसार कई मत प्रचलित है लेकिन शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जहाँ नवरात्री पूजन का विधान न हो. नवरात्रि के 9 दिनों में माँ भगवती के नो रूपों की विशेष पूजा का विधान है. बहुत से लोग बस इतना ही जानते है कि नवरात्रि दो प्रकार की होती है, एक बासंती(चेत्र) नवरात्रि दूसरी शारदीय नवरात्रि. लेकिन हम धर्मशास्त्रों का अध्ययन करें तो एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है.


चेत्र नवरात्रि : वर्ष का प्रथम मास होने के कारण इसको चेत्र मास या मधुमास भी कहा जाता है, इस समय बसंत ऋतु का आगमन भी होता है.

आषाढ़ नवरात्रि: इस नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है, इस नवरात्रि में उग्र साधनाएं करने वाले तांत्रिक और अघोरी वीभत्स साधनाओं में लीन रहते है.

शारदीय नवरात्रि: यह नवरात्रि आश्विन शुक्ल में आती है, इसको वार्षिक नवरात्रि भी कहते है, चारों नवरात्रि में इसको ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.


माघ मास की नवरात्रि: यह नवरात्रि गुप्त नवरात्रि मानी जाती है. यह गुप्त पूजन के हिसाब से अत्यंत पवित्र नवरात्रि मानी जाती है. 

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रोचक कहानी : काल भैरव को कैसे मिली ब्रह्मा हत्या से मुक्ति
हे मानवों : सब्र करो कि करिश्मा है होने वाला
मैया मोरी तुमरे दरस की प्यासी मै

हिन्दुधर्म में क्यों मनाते है नवरात्रि


नवरात्रि महत्व: हिन्दुओं में धार्मिक उत्सवों का विशेष महत्व है जिसमे नवरात्री सबसे पहले नंबर पर आती है, हिन्दुओं में मान्यता अनुसार कई मत प्रचलित है लेकिन शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जहाँ नवरात्री पूजन का विधान न हो. नवरात्रि के 9 दिनों में माँ भगवती के नो रूपों की विशेष पूजा का विधान है. बहुत से लोग बस इतना ही जानते है कि नवरात्रि दो प्रकार की होती है, एक बासंती(चेत्र) नवरात्रि दूसरी शारदीय नवरात्रि. लेकिन हम धर्मशास्त्रों का अध्ययन करें तो एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है.


चेत्र नवरात्रि : वर्ष का प्रथम मास होने के कारण इसको चेत्र मास या मधुमास भी कहा जाता है, इस समय बसंत ऋतु का आगमन भी होता है.

आषाढ़ नवरात्रि: इस नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है, इस नवरात्रि में उग्र साधनाएं करने वाले तांत्रिक और अघोरी वीभत्स साधनाओं में लीन रहते है.

शारदीय नवरात्रि: यह नवरात्रि आश्विन शुक्ल में आती है, इसको वार्षिक नवरात्रि भी कहते है, चारों नवरात्रि में इसको ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.


माघ मास की नवरात्रि: यह नवरात्रि गुप्त नवरात्रि मानी जाती है. यह गुप्त पूजन के हिसाब से अत्यंत पवित्र नवरात्रि मानी जाती है. 

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नवरात्रि महत्व: हिन्दुओं में धार्मिक उत्सवों का विशेष महत्व है जिसमे नवरात्री सबसे पहले नंबर पर आती है, हिन्दुओं में मान्यता अनुसार कई मत प्रचलित है लेकिन शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जहाँ नवरात्री पूजन का विधान न हो. नवरात्रि के 9 दिनों में माँ भगवती के नो रूपों की विशेष पूजा का विधान है. बहुत से लोग बस इतना ही जानते है कि नवरात्रि दो प्रकार की होती है, एक बासंती(चेत्र) नवरात्रि दूसरी शारदीय नवरात्रि. लेकिन हम धर्मशास्त्रों का अध्ययन करें तो एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है.


चेत्र नवरात्रि : वर्ष का प्रथम मास होने के कारण इसको चेत्र मास या मधुमास भी कहा जाता है, इस समय बसंत ऋतु का आगमन भी होता है.

आषाढ़ नवरात्रि: इस नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है, इस नवरात्रि में उग्र साधनाएं करने वाले तांत्रिक और अघोरी वीभत्स साधनाओं में लीन रहते है.

शारदीय नवरात्रि: यह नवरात्रि आश्विन शुक्ल में आती है, इसको वार्षिक नवरात्रि भी कहते है, चारों नवरात्रि में इसको ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.


माघ मास की नवरात्रि: यह नवरात्रि गुप्त नवरात्रि मानी जाती है. यह गुप्त पूजन के हिसाब से अत्यंत पवित्र नवरात्रि मानी जाती है. 

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