karwachauth and moon |
करवाचौथ पति-पत्नी के रिश्तों में मिठास भरने की एक अनुपम कड़ी है, करवाचौथ क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे एक कथा प्रचलित है. जब निलगिरी पर्वत पर अर्जुन तप करने चले गए तब उनकी चिंता में द्रोपदी व्यथित होने लगी कि कहीं दुष्ट लोग उनका तप भंग न कर दे. जब श्री कृष्णा ने उनको करवा का व्रत और विधान समझाया. इस व्रत में करवा अर्थात कलश करवा माता का प्रतिक होता है.
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ऐसा माना जाता है कि संध्या के समय सौभाग्यशाली महिलाएं विधि-विधान से करवा माता की पूजा करती है व् चंद्रोदय के समय चन्द्र को अर्ध्य देकर अपने पति के हाथों जल ग्रहण करती है, उनका करवाचौथ सौभाग्य व् आरोग्य रहता है. इस व्रत को करने से महिलाओं को मानसिक शांति और अपने पति से अपार प्रेम की अनुभूति होती है !