Showing posts with label poetry on mother. Show all posts
Showing posts with label poetry on mother. Show all posts

"अच्छा लगता था माँ की कोख में..."


आँखे खुलते मैंने ये क्या देखा---
कोई डूबा हुआ है शौक में,
कोई रो रहा है रोग में,
कोई भोंक रहा है भोग में,
कोई तड़प रहा है वियोग में,
क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?
अच्छा लगता था माँ की कोख में |

किसी ने साथ ना दिया दुःख में,
किसी ने निवाला ना दिया मुख में,
किसी ने कुछ ना दिया भीख में,
किसी ने नि:वस्त्र छोड़ दिया धुप में,
क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?
अच्छा लगता था माँ की कोख में |

माँ यहाँ बस दुःख-दर्द और दारु है कांख में,
माँ यहाँ हर आदमी फिरता है फ़िराक में,
माँ यहाँ बस पापी-पाखंडी रहते है साख़ में,
माँ यहाँ इमानदारी मिल जाती है ख़ाक में,
क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?
अच्छा लगता था माँ की कोख़ में |

माँ तू ममतामय है,करुण ह्रदय है,इस जग में,
माँ तू शांति है,सहनशील है,इस वेग में,
माँ तू मर्मस्पर्शी है,पारदर्शी है,हर युग में
माँ तू सर्वस्व है,समर्पण है,हर लेख में,
क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?
अच्छा लगता था माँ की कोख़ में ,,,,,,,,,,





अच्छा लगता था माँ की कोख में


आँखे खुलते मैंने ये क्या देखा---
कोई डूबा हुआ है शौक में,
कोई रो रहा है रोग में,
कोई भोंक रहा है भोग में,
कोई तड़प रहा है वियोग में,
क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?
अच्छा लगता था माँ की कोख में |

किसी ने साथ ना दिया दुःख में,
किसी ने निवाला ना दिया मुख में,
किसी ने कुछ ना दिया भीख में,
किसी ने नि:वस्त्र छोड़ दिया धुप में,
क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?
अच्छा लगता था माँ की कोख में |

माँ यहाँ बस दुःख-दर्द और दारु है कांख में,
माँ यहाँ हर आदमी फिरता है फ़िराक में,
माँ यहाँ बस पापी-पाखंडी रहते है साख़ में,
माँ यहाँ इमानदारी मिल जाती है ख़ाक में,
क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?
अच्छा लगता था माँ की कोख़ में |

माँ तू ममतामय है,करुण ह्रदय है,इस जग में,
माँ तू शांति है,सहनशील है,इस वेग में,
माँ तू मर्मस्पर्शी है,पारदर्शी है,हर युग में
माँ तू सर्वस्व है,समर्पण है,हर लेख में,
क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?
अच्छा लगता था माँ की कोख़ में ,,,,,,,,,,