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Friday 20 July 2012

जाने क्यूँ ये दर्द,मीठा-मीठा-सा लगता है



जाने क्यूँ ये दर्द, मीठा-मीठा -सा लगता है
हर ज़ख्म पर कोई, मिश्री घोल रहा हो जैसे
अपने ही आंसुओं पर, दरिया बन गई है ये आँखें
हर नज़र में कोई शख्स,शबनम टटोल रहा हो जैसे
अपनों का कारवां अपनी ही नब्ज़ में शूल सा लगता है
         कतरा कतरा यूँ घुट-घुटकर खुदी को ज़ार-ज़ार कर रहा हो जैसे
ऐ जहां वालों अब तो विराना ही अपना ताजमहल लगता है
                      शीशों के घरोंदो में दम साँसों का,बार-बार लुट रहा हो जैसे !


जाने क्यूँ ये दर्द,मीठा-मीठा-सा लगता है



जाने क्यूँ ये दर्द, मीठा-मीठा -सा लगता है
हर ज़ख्म पर कोई, मिश्री घोल रहा हो जैसे
अपने ही आंसुओं पर, दरिया बन गई है ये आँखें
हर नज़र में कोई शख्स,शबनम टटोल रहा हो जैसे
अपनों का कारवां अपनी ही नब्ज़ में शूल सा लगता है
         कतरा कतरा यूँ घुट-घुटकर खुदी को ज़ार-ज़ार कर रहा हो जैसे
ऐ जहां वालों अब तो विराना ही अपना ताजमहल लगता है
                      शीशों के घरोंदो में दम साँसों का,बार-बार लुट रहा हो जैसे !


जाने क्यूँ ये दर्द,मीठा-मीठा-सा लगता है



जाने क्यूँ ये दर्द, मीठा-मीठा -सा लगता है
हर ज़ख्म पर कोई, मिश्री घोल रहा हो जैसे
अपने ही आंसुओं पर, दरिया बन गई है ये आँखें
हर नज़र में कोई शख्स,शबनम टटोल रहा हो जैसे
अपनों का कारवां अपनी ही नब्ज़ में शूल सा लगता है
         कतरा कतरा यूँ घुट-घुटकर खुदी को ज़ार-ज़ार कर रहा हो जैसे
ऐ जहां वालों अब तो विराना ही अपना ताजमहल लगता है
                      शीशों के घरोंदो में दम साँसों का,बार-बार लुट रहा हो जैसे !


Saturday 17 March 2012

मेरी जान-सर्च इंजन



यु ट्यूब में नहाकर आई हो,

या देसी ठर्रा पीकर आई हो,

 गूगल गम खाकर आई हो,

या कोलावेरी डी गाकर आई हो |

                              याहू का सिर्फ यम्मी यकिन हो,

                            या कामसूत्र की कमसिन हो,

                          रेडिफ का रंगीन सीन हो,

                        या दिल्ली मेट्रो की टाइमली ट्रेन हो |

    जी मेल का जोशीला जी हो,

   या जी-वन का जवाँ जी हो,

  हसीन हॉट-हॉट फीमेल हो,

या जुर्म की तिहाड़ जेल हो |

             अकबर का आस्क डोट कॉम हो,

            या हुसैन का डक-डक गो हो,

           माइक्रोसाफ्ट का हार्ड बिंग हो,

           या गोरी गाय का सिंग हो|

                         एक्सटरनली इंटरनेट एक्स्प्लोरर हो ,

                        या चांदनी रातों का नाईटमेयर हो,

                     यिप्पी-क्लस्टी का कमाल हो,

                   या जलेबी बाई की चाल हो |

  माहालो का मिर्च- मसाला हो,

 या नए दौर की मधुबाला हो,

 डोग्पाईल का  दर्दे-डिस्को हो,

 या कूल-कूल पेप्सिको हो |

                        वेबोपेडिया जैसी कोई बीमारी हो,

                    या भारतीय स्टाइल में विदेशी नारी हो,

                   ट्विटर का टोमेटो टेस्ट हो,

                 या बिच पर बिकनी में बेस्ट हो |

                     फेसबुक का फ्रेंडशिप पेक हो,

             या स्विस बेंक का ब्लेंक चेक हो,

      तुम जैसी भी हो,जो भी हो एक मौज हो,

जोइंट एडवेंचर की नॉन स्टॉप खोज हो  ।
                               






मेरी जान-सर्च इंजन



यु ट्यूब में नहाकर आई हो,

या देसी ठर्रा पीकर आई हो,

 गूगल गम खाकर आई हो,

या कोलावेरी डी गाकर आई हो |

                              याहू का सिर्फ यम्मी यकिन हो,

                            या कामसूत्र की कमसिन हो,

                          रेडिफ का रंगीन सीन हो,

                        या दिल्ली मेट्रो की टाइमली ट्रेन हो |

    जी मेल का जोशीला जी हो,

   या जी-वन का जवाँ जी हो,

  हसीन हॉट-हॉट फीमेल हो,

या जुर्म की तिहाड़ जेल हो |

             अकबर का आस्क डोट कॉम हो,

            या हुसैन का डक-डक गो हो,

           माइक्रोसाफ्ट का हार्ड बिंग हो,

           या गोरी गाय का सिंग हो|

                         एक्सटरनली इंटरनेट एक्स्प्लोरर हो ,

                        या चांदनी रातों का नाईटमेयर हो,

                     यिप्पी-क्लस्टी का कमाल हो,

                   या जलेबी बाई की चाल हो |

  माहालो का मिर्च- मसाला हो,

 या नए दौर की मधुबाला हो,

 डोग्पाईल का  दर्दे-डिस्को हो,

 या कूल-कूल पेप्सिको हो |

                        वेबोपेडिया जैसी कोई बीमारी हो,

                    या भारतीय स्टाइल में विदेशी नारी हो,

                   ट्विटर का टोमेटो टेस्ट हो,

                 या बिच पर बिकनी में बेस्ट हो |

                     फेसबुक का फ्रेंडशिप पेक हो,

             या स्विस बेंक का ब्लेंक चेक हो,

      तुम जैसी भी हो,जो भी हो एक मौज हो,

जोइंट एडवेंचर की नॉन स्टॉप खोज हो  ।
                               






मेरी जान-सर्च इंजन



यु ट्यूब में नहाकर आई हो,

या देसी ठर्रा पीकर आई हो,

 गूगल गम खाकर आई हो,

या कोलावेरी डी गाकर आई हो |

                              याहू का सिर्फ यम्मी यकिन हो,

                            या कामसूत्र की कमसिन हो,

                          रेडिफ का रंगीन सीन हो,

                        या दिल्ली मेट्रो की टाइमली ट्रेन हो |

    जी मेल का जोशीला जी हो,

   या जी-वन का जवाँ जी हो,

  हसीन हॉट-हॉट फीमेल हो,

या जुर्म की तिहाड़ जेल हो |

             अकबर का आस्क डोट कॉम हो,

            या हुसैन का डक-डक गो हो,

           माइक्रोसाफ्ट का हार्ड बिंग हो,

           या गोरी गाय का सिंग हो|

                         एक्सटरनली इंटरनेट एक्स्प्लोरर हो ,

                        या चांदनी रातों का नाईटमेयर हो,

                     यिप्पी-क्लस्टी का कमाल हो,

                   या जलेबी बाई की चाल हो |

  माहालो का मिर्च- मसाला हो,

 या नए दौर की मधुबाला हो,

 डोग्पाईल का  दर्दे-डिस्को हो,

 या कूल-कूल पेप्सिको हो |

                        वेबोपेडिया जैसी कोई बीमारी हो,

                    या भारतीय स्टाइल में विदेशी नारी हो,

                   ट्विटर का टोमेटो टेस्ट हो,

                 या बिच पर बिकनी में बेस्ट हो |

                     फेसबुक का फ्रेंडशिप पेक हो,

             या स्विस बेंक का ब्लेंक चेक हो,

      तुम जैसी भी हो,जो भी हो एक मौज हो,

जोइंट एडवेंचर की नॉन स्टॉप खोज हो  ।
                               






Wednesday 29 February 2012

काश,मेरे सिने में भी दिल होता पारो


काश, की मेरे सिने में भी दिल होता,
मेरे ना सही, किसी और के सिने में धड़कता,
उसके एहसासों का मनचला मंज़र,
यूँ मेरी साँसों की लहरों से गुजरता,
वो आंहें भरती तन्हाई में और
मुझे उसकी महफ़िल का खुमार होता,
काश, की मेरे सिने में भी दिल होता...!

वो सोती मेरे ख्यालों की सेज पर,
उसके ख्वाबों का कारवाँ मेरी आँखों में होता,
काली-काली घनेरी घनघोर रातों में,
प्यार भरी रोशनी से रोशन सिलसिला होता,
काश, की मेरे सिने में भी दिल होता...! 

काश,मेरे सिने में भी दिल होता पारो


काश, की मेरे सिने में भी दिल होता,
मेरे ना सही, किसी और के सिने में धड़कता,
उसके एहसासों का मनचला मंज़र,
यूँ मेरी साँसों की लहरों से गुजरता,
वो आंहें भरती तन्हाई में और
मुझे उसकी महफ़िल का खुमार होता,
काश, की मेरे सिने में भी दिल होता...!

वो सोती मेरे ख्यालों की सेज पर,
उसके ख्वाबों का कारवाँ मेरी आँखों में होता,
काली-काली घनेरी घनघोर रातों में,
प्यार भरी रोशनी से रोशन सिलसिला होता,
काश, की मेरे सिने में भी दिल होता...!