उसकी याद दिलाती हे ,
 उसका चेहरा बताती हे,
 मंद-मंद बहते हुए यूँ---
 गुनगुनाती हे उसका नाम,
 ये ढलती हुई शाम |
 उसके प्यार का विश्वाश दिलाती हे,
 उसके प्यार का एहसास दिलाती हे,
 चोरी-चोरी,चुपके -चुपके यूँ ---
 मुजको सुनाती हे उसका पैगाम,
 ये ढलती हुई शाम |
 धीरे-धीरे से ढलती जाती हे,
 उसका हर हाले दिल सुनाती हे,
 कभी मै ना मिलूं उसको तो  यूँ ---
 मचा देती हे भयंकर कोहराम,
 ये ढलती हुई शाम |
 किरणों में उसकी आँखे चमकती हे,
 हर तरफ सिर्फ उसकी झलक छलकती हे,
 ऐसे -वैसे बलखाती,लहराती यूँ---
 मेरे दिल को देती हे सुकून-ओ-आराम,
 ये ढलती हुई शाम |
 मुज पर शबनम-सी छा जाती हे,
 मुझे अपने में समाँ लेती हे ,
 हर घड़ी हर पल हर लम्हा यूँ---
 उसकी मोहब्बत का पिलाती हे जाम,
 ये ढलती हुई शाम |
 ................Pancho
 
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