शारदीय नवरात्रि में देवी साधना का विशेष महत्व है, नवरात्रि में माता के नो स्वरूपों का पूजन अर्थात साधना की जाती है. नवरात्रि में देवी का प्रत्येक दिन उनके एक विशेष रूप को लेकर होता है. यदि कोई भक्त अपनी कोई इच्छा या मनोकामना से देवी के उस विशेष रूप की पूजा करता है तो वह शीघ्र ही माता की अनुकम्पा प्राप्त कर लेता है.
यदि किसी व्यक्ति का चित स्थिर नहीं है या उसके मनोबल में किसी भी प्रकार की कमी है तो वह पर्वत राज की पुत्री शैलपुत्री(माता पार्वती) की साधना करें.
यदि कोई भक्त किसी लोभ लालच से मुक्ति चाहता हो तो वो परब्रह्म का साक्षात् कराने वाली ब्रह्मचारिणी की भक्ति करे.
यदि कोई भक्त किंचित बातों से क्रोधित हो जाता है, तनाव में रहता है तो उन्हें चंद्रघंटा माता की स्तुति करना चाहिए.
यदि भक्त बहुत मेहनत कर रहा है किन्तु परिणाम उसके अनुकुल नहीं आ रहे है तो ऐसी स्तिथि में उसे देवी कुष्मांडा की आराधना करनी चाहिए.
शिक्षा प्राप्ति के लिए, किसी प्रकार की साधना के लिए माँ स्कन्द माता की स्तुति करनी चाहिए. यदि आपका दाम्पत्य जीवन सुखपूर्वक नहीं बीत रहा है तो ऐसी स्थिति में माँ कात्यायनी की सेवा करनी चाहिए.
इसी प्रकार से महागौरी देवी का ध्यान कर सुख समृद्धि प्राप्त की जा सकती है, कालरात्रि देवी विविध प्रकार की तंत्र-मंत्र साधनाओं की सिद्धि में सहायक है.
नवीं शक्ति का नाम सिद्धि दात्री है जो मोक्ष और सिद्धि की अभिलाषा रखते है उनको सिद्धि दात्री माता की आराधना में तल्लीन रहना चाहिए.नवरात्रि के ये नो दिन भक्ति के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण और फल देने वाले है.
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