Thursday 29 September 2016

नवरात्रि : नो माताओं का होगा अपने लालों से मिलन













देवी जगदम्बा की नो शक्तियां अर्थात नो स्वरुप है जिनके प्रथक-प्रथक नाम इस प्रकार से है:
प्रथम का नाम शैल पुत्री(जिन माता ने पारवती देवी के रूप में पर्वत राज हिमालय के घर में जन्म लिया), दूसरी शक्ति का नाम ब्रह्मचारिणी(ये वो शक्ति है जो परब्रह्म का साक्षात्कार कराती है), माता की तीसरी शक्ति का नाम चन्द्रघंटा है अर्थात जिस देवी के घंटा में चन्द्रमा स्थित है. 

इसी प्रकार माताजी की चतुर्थ शक्ति कुष्मांडा है(तीनों ताप्युक्त जगत जिनके उदर में विद्यमान है). पांचवा स्वरुप स्कन्द माता अर्थात कार्तिकेय को जन्म देने वाली है, माता के षष्टम स्वरुप देवी कात्यायनी का है(महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट होने वाली वो देवी जिनको ऋषि कात्यायन ने अपनी बेटी माना है). 

इसी प्रकार से सातवी माता का नाम काल रात्री है जो सम्पूर्ण संसार को भी नष्ट करने वाली काल की भी विनाशिका है. आठवीं शक्ति महागौरी है जिन्होंने भगवान् भोलेनाथ के महाकाली कहने पर घौर तपस्या करके वरदान में महान गौरवर्ण प्राप्त किया था. नवीं माता का नाम सिद्धिदात्री अर्थात मोक्ष प्रदान करने वाली माताजी है.
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